अच्छे दिन
फ़लों की बात तो दूर सब्ज़ियों के भाव भी आसमान छू रहे हैं. सब्ज़ी वाले भी अब किलो की जगह एक पाव के दाम बता रहे हैं, ताकि सुनने वाला बेहोश न हो जाए. और तोल में भी एक-एक माशे का ख़्याल रखने लगे हैं...
हमने कहा- भैया सब्ज़ी तोल रहे हो या सोना-चांदी.
वो चिड़कर बोला- मैडम जी ! ऐसी पार्टी को और दो वोट, आ गए न अच्छे दिन...
हमने कहा- भैया! अवाम की इस बदहाली में हमारा कोई योगदान नहीं है. हम ख़ुद 69 फ़ीसद अवाम की तरह 31 फ़ीसद के किए की सज़ा भुगत रहे हैं.
तस्वीर गूगल से साभार
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