बस्ती से दूर
किसी ख़ामोश मक़ाम पर
बने दूधिया मज़ारों के पास खड़े
दरख़्त की शाख़ों पर बंधे
मन्नतों के पीले धागे
कितने बीते लम्हों की
याद दिला जाते हैं... -फ़िरदौस ख़ान
एक दूसरे को बेपह्चाने भागती-दौड्ती भीड़ में सिमेंट-कोंक्रेट के तपते इस जंगल में... एक शबनमी लम्हा... एक ठंडी बूँद टपकी... फिर यादों की लहर फैल-सी गई भीतर... और इन मसरूफियतों के बीच, दूधिया मज़ार और मन्नतों के धागे झिलमिलाए यादों में उस बहुत पीछे छूट गई दुनियाँ के...
इन ताज़ा-ताज़ा एह्सासातों के लिए शुक्रिया फ़िरदौस जी...
शायरा, लेखिका और पत्रकार. लोग लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी कहते हैं.
उर्दू, हिन्दी, इंग्लिश और पंजाबी में लेखन. दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं. अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं का सम्पादन किया. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण. ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनल के लिए एंकरिंग भी की है. देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लेखन. फ़हम अल क़ुरआन लिखा. सूफ़ीवाद पर 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' नामक एक किताब प्रकाशित. इसके अलावा डिस्कवरी चैनल सहित अन्य टेलीविज़न चैनलों के लिए स्क्रिप्ट लेखन. उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए अनेक पुरस्कारों ने सम्मानित. इसके अलावा कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी शिरकत की. कई बरसों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली. फ़िलहाल 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' में समूह संपादक हैं.
अपने बारे में एक शेअर पेश है- नफ़रत, जलन, अदावत दिल में नहीं है मेरे
अख़लाक़ के सांचे में अल्लाह ने ढाला है…
हमारा जन्मदिन
-
कल यानी 1 जून को हमारा जन्मदिन है. अम्मी बहुत याद आती हैं. वे सबसे पहले
हमें मुबारकबाद दिया करती थीं. वे बहुत सी दुआएं देती थीं. उनकी दुआएं हमारे
लिए किस...
میرے محبوب
-
بزرگروں سے سناہے کہ شاعروں کی بخشش نہیں ہوتی وجہ، وہ اپنے محبوب کو
خدا بنا دیتے ہیں اور اسلام میں اللہ کے برابر کسی کو رکھنا شِرک یعنی ایسا
گناہ مانا جات...
27 सूरह अन नम्ल
-
सूरह अन नम्ल मक्का में नाज़िल हुई और इसकी 93 आयतें हैं.
*अल्लाह के नाम से शुरू, जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है*1. ता सीन. ये
क़ुरआन और रौशन किताब की आयतें...
Rahul Gandhi in Berkeley, California
-
*Firdaus Khan*
The Congress vice president Rahul Gandhi delivering a speech at Institute
of International Studies at UC Berkeley, California on Monday. He...
इस ब्लॉग की सभी रचनाओं के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं...किसी भी वेबसाइट, समाचार-पत्र या पत्रिका को कोई भी रचना लेने से पहले इजाज़त लेना ज़रूरी है...संपर्कfirdaus.journalist@gmail.com
फ़िरदौस ख़ान
इस बलॊग में ज़्यादातर तस्वीरें गूगल से साभार ली गई हैं
14 दिसंबर 2009 को 3:13 pm बजे
यादों का एक सुन्दर एहसास।बहुत बढिया!!
14 दिसंबर 2009 को 4:11 pm बजे
छोटी रचना किन्तु अच्छे भाव फिरदौस जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
14 दिसंबर 2009 को 4:36 pm बजे
बहुत ही खूबसूरत कविता। और उतना ही सुंदर चित्र भी लगाया है आपने। बधाई स्वीकारें।
14 दिसंबर 2009 को 5:26 pm बजे
बहुत ही उम्दा दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति .......
14 दिसंबर 2009 को 5:55 pm बजे
सुंदर एहसास के साथ ...खूबसूरत अभिव्यक्ति.....
16 दिसंबर 2009 को 12:37 am बजे
फिरदौस साहिबा,
यादों का न भूलने का अहसास
बिल्कुल नये अंदाज़ में करा दिया आपने
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
16 दिसंबर 2009 को 6:49 pm बजे
आश्चर्यजनक शब्द साम्य देखा, हमारी इक गजल का शेर भी यही बयां करता है।
वो जो मंदिरों-मजारों में धागे बंधे थे
,
धागे नहीं मेरी यादों के लम्हें टंगे थे
17 दिसंबर 2009 को 10:23 pm बजे
वाह!!!! इसके आगे मेरी बोलती बंद है!
6 मार्च 2010 को 9:17 pm बजे
बस्ती से दूर
किसी खामोश मक़ाम पर
बने दूधिया मज़ारों के पास खड़े
दरख्त की शाखों पर बंधे
मन्नतों के पीले धागे
कितने बीते लम्हों की
याद दिला जाते हैं...
अल्लाह आपकी मन्नतों को पूरा करे.......आमीन.......
18 अप्रैल 2012 को 1:00 pm बजे
एक दूसरे को बेपह्चाने
भागती-दौड्ती भीड़ में
सिमेंट-कोंक्रेट के तपते इस जंगल में...
एक शबनमी लम्हा... एक ठंडी बूँद
टपकी...
फिर यादों की लहर फैल-सी गई भीतर...
और इन मसरूफियतों के बीच,
दूधिया मज़ार और मन्नतों के धागे
झिलमिलाए यादों में
उस बहुत पीछे छूट गई दुनियाँ के...
इन ताज़ा-ताज़ा एह्सासातों के लिए
शुक्रिया फ़िरदौस जी...