मुहब्बत...
जो अच्छा लगता है, उसकी हर बात अच्छी लगती है... शायद यही मुहब्बत है...
बक़ौल परवीन शाकिर-
मैं ऐसे शख्स की मासूमियत पर क्या लिखूं
जो मुझको अपनी ख़ताओं में भी भला ही लगा
जो ख़्वाब देने पर क़ादिर था, मेरी नज़रों में
अज़ाब देते हुए भी मुझे ख़ुदा ही लगा...
बक़ौल परवीन शाकिर-
मैं ऐसे शख्स की मासूमियत पर क्या लिखूं
जो मुझको अपनी ख़ताओं में भी भला ही लगा
जो ख़्वाब देने पर क़ादिर था, मेरी नज़रों में
अज़ाब देते हुए भी मुझे ख़ुदा ही लगा...
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