लड़कियां...

हम लड़कियां बिलकुल ऐसी ही होती है... ज़िन्दगी की मुश्किल राहों में भी हंसती और खिलखिलाती रहती हैं...

परवीन शाकिर के शब्दों में-
चिड़िया पूरी भीग चुकी है
और दरख्त भी पत्ता-पत्ता टपक रहा है
घोंसला कब का बिखर चुका है
चिड़िया फिर भी चहक रही है
अंग-अंग से बोल रही है
इस मौसम में भीगते रहना कितना अच्छा लगता है... 
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