पापा ! आप बहुत याद आते हो...
बचपन में सुना था... जब कोई मर जाता है, तो वह तारा बन जाता है... आसमान में चमकता हुआ एक सितारा... यह बात साईंस से परे की है... सिर्फ़ मानने या न मानने की... रात में जब भी आसमान को देखते हैं, तो लगता है कि पापा भी सितारा बन गए होंगे... आसमान में चमकते अनगिनत सितारों में किसी एक सितारे के रूप में पापा भी होंगे... जो हमें देख रहे होंगे... बस हमने भी एक सितारा तलाश लिया... वही सितारा, जो चमेली के पास बैठने पर आसमान में अपने सबसे क़रीब नज़र आता है... चम्पा के महकते फूलों के गुच्छे के ठीक ऊपर... अब यह हर रोज़ का शग़ल बन गया है... चमेली के पास चटाई बिछाकर बैठ जाना और आसमान में चमकते सितारे को देखना... ऐसा लगता है, जैसे पापा भी रोज़ रात को हमारे आने का इंतज़ार करते हैं...
वो भी अपने पापा से इतना ही प्यार करते हैं, क्या वो भी अपने पापा को इस तरह आसमान में सितारों के बीच तलाशते होंगे... कभी पूछेंगे उनसे...
पापा ! आप बहुत याद आते हो... मिस यू...
24 जून 2014 को 4:49 pm बजे
हमारे वालिदे-मरहूम खुर्राट मिजाज के थे उनकी गर्बीली आवाज़ से सभी दहशत खाते थे
अपने तअल्लुक़ा में वो अपनी दीगर सख्शियत रखते थे औ क़ादिर हो के भी वो सादा-पोश जिंदगी जीते |
जाहो-हशम से वो खुद तो दूर रहते ही औलाद को भी उससे बचाए रखते.....
10 जून 2015 को 4:28 pm बजे
मन को छू गये आपके भाव................
लज़ीज़ खाना: जी ललचाए, रहा न जाए!!