ये इक़रार है मुहब्बत का
दिल चाहता है कि महबूब को अपना बना लें. ये इक़रार है मुहब्बत का यानी कलमा.
दिल चाहता है कि महबूब से ख़ूब बातें करें. ये गुफ़्तगू है मुहब्बत की यानी नमाज़.
दिल चाहता है कि महबूब की बातें सुनें. ये चाहत है मुहब्बत की यानी क़ुरआन की तिलावत.
दिल चाहता है कि महबूब की याद में खाना-पीना छोड़ दें. ये शिद्दत है मुहब्बत की यानी रोज़ा.
दिल चाहता है कि महबूब के लिए माल ख़र्च करें. ये कैफ़ियत है मुहब्बत की यानी ज़कात-ख़ैरात .
दिल चाहता है कि महबूब के घर के चक्कर लगाएं. ये दीवानगी है मुहब्बत की यानी हज.
दिल चाहता है कि महबूब पर जान निसार कर दें. ये इन्तेहा है मुहब्बत की यानी जिहाद.
फ़िरदौस ख़ान
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