लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी : रवीश कुमार
सम्मानीय रवीश जी !
आप हमेशा से ही हमारे लिए आदर्श रहे हैं. हमें इस बात का हमेशा फ़ख़्र रहेगा कि हम उस दौर में हैं, जब आप हैं.पत्रकारिता भी आप पर नाज़ करती होगी. आपने साबित कर दिया कि इंसान के लिए ईमान सबसे क़ीमती चीज़ है. आपको याद होगा कि आपने हमारे बारे में एक तहरीर लिखी थी, जो दैनिक हिन्दुस्तान में 26 मई 2010 को शाया हुई थी. आज उस पर नज़र पड़ी, तो सोचा कि इसके लिए एक बार फिर से आपको शुक्रिया कहें. आपके ये शब्द 'लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी' हमारे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं हैं.इसके लिए हम हमेशा आपके तहेदिल से शुक्रगुज़ार रहेंगे.
आप हमेशा से ही हमारे लिए आदर्श रहे हैं. हमें इस बात का हमेशा फ़ख़्र रहेगा कि हम उस दौर में हैं, जब आप हैं.पत्रकारिता भी आप पर नाज़ करती होगी. आपने साबित कर दिया कि इंसान के लिए ईमान सबसे क़ीमती चीज़ है. आपको याद होगा कि आपने हमारे बारे में एक तहरीर लिखी थी, जो दैनिक हिन्दुस्तान में 26 मई 2010 को शाया हुई थी. आज उस पर नज़र पड़ी, तो सोचा कि इसके लिए एक बार फिर से आपको शुक्रिया कहें. आपके ये शब्द 'लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी' हमारे लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं हैं.इसके लिए हम हमेशा आपके तहेदिल से शुक्रगुज़ार रहेंगे.
-फ़िरदौस ख़ान
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