मुहब्बत



मुहब्बत सिर्फ़ मुहब्बत होती है और कुछ नहीं. मुहब्बत सिर्फ़ देना जानती है. सावन के बरसते बादलों की मानिन्द. जिस तरह बादल अपनी आख़िरी बूंद तक प्यासी धरती पर उडेल देते हैं, इसी तरह मुहब्बत अपने महबूब को सराबोर कर देती है, मुहब्बत के जज़्बे से. 
फ़िरदौस ख़ान
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