औरत

अल्लाह ने औरत को एक ऐसी सिफ़्त दी है कि वह जितनी रहमदिल है, उतनी ही संगदिल भी है... वह चाहे, तो अपने महबूब के लिए ख़ुद को फ़ना कर डाले... अगर वह सख़्त हो जाए, तो कोई उसकी एक निगाहे-रफ़ाक़त भी पा नहीं सकता...
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