यादों से वाबस्ता ख़ुशियों के ख़ज़ाने
बचपन की चीज़ें देखकर दिल को बेहद ख़ुशी हासिल होती है. ज़िन्दगी की असली ख़ुशियां तो छोटी-छोटी चीज़ों में ही हुआ करती हैं. अब इन चन्द तस्वीरों को ही लें. हमारे घर में भी ऐसी ही बहुत-सी तस्वीरें थीं. इनके अलावा बहुत सी सीनरी भी थीं. इनमें पहाड़, झरने, दरख़्त और रंग-बिरंगे फूल होते थे. हमारे रिश्तेदारों और मेलजोल के लोगों के घरों में भी ऐसी ही तस्वीरें हुआ करती थीं. आज भी कुछ तस्वीरें हैं, जिन्हें हमने बहुत ही संभाल कर रखा है. ऐसा लगता है कि ये हमारी यादों से वाबस्ता ख़ुशियों के ख़ज़ाने है.
-फ़िरदौस ख़ान
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