राहुल गांधी को भी ज़िन्दगी जीने का हक़ है
फ़िरदौस ख़ान
राहुल गांधी भी औरों की तरह ही इंसान हैं. वे कोई बेजान मूरत नहीं हैं, जिसके अपने कोई जज़्बात न हों, अहसासात न हों, ख़्वाहिशात न हों. उनके भी अपने सुख-दुख हैं. उन्हें भी ज़िन्दगी जीने का पूरा हक़ है, ख़ुश रहने का हक़ है. जब इंसान परेशान होता है, दिल बोझल होता है, तो वह दिल बहलाने के सौ जतन करता है... कोई किताबें पढ़ता है, कोई गीत-संगीत सुनता है, कोई फ़िल्म देखता है, कोई घूमने निकल जाता है या इसी तरह का अपनी पसंद का कोई काम करता है.
ख़बरों के मुताबिक़ गुज़श्ता 18 दिसंबर की शाम को गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजे आने के बाद राहुल गांधी अपने क़रीबी दोस्तों के साथ हॉलीवुड फ़िल्म 'स्टार वॉर' देखने सिनेमा हॉल चले गए. लेकिन कुछ वक़्त बाद ही वे फ़िल्म बीच में छोड़कर वापस आ गए. कुछ लोगों ने उन्हें सिनेमा हॊल में देख लिया और फिर क्या था, भारतीय जनता पार्टी ने इसे एक बड़ा सियासी मुद्दा बना दिया.
भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की काम करने की क्षमता पर तंज़ कसते हुए कई ट्वीट्स किए. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने ना केवल गुजरात चुनाव हारा, बल्कि जहां पार्टी की सरकार थी, हिमाचल प्रदेश में, वहां भी हार गई, लेकिन राहुल गांधी इस बात का आंकलन ना करके फ़िल्म देखने निकल गए.’ एक के बाद एक ट्वीट कर अमित मालवीय ने राहुल से पूछा कि, 'अगर राहुल ने सिनेमा छोड़ गुजरात में ही पार्टी के प्रदर्शन का आंकलन किया होता, तो उन्हें पता चल जाता कि सौराष्ट्र जहां वह सबसे ज़्यादा सीटें जीते हैं, वहां भी बीजेपी को सबसे ज़्यादा वोट मिले हैं. यहां बीजेपी को 45.9 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 45.5 प्रतिशत.
कहा जा रहा है कि जिस वक़्त प्रधानमंत्री दोनों राज्यों की जनता को संबोधित कर रहे थे, ठीक उसी वक़्त राहुल गांधी फ़िल्म का लुत्फ़ उठा रहे थे. दरअसल, उस वक़्त राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालत में बहुत फ़र्क़ था. कांग्रेस दोनों राज्यों में चुनाव हारी है, और उसने हिमाचल प्रदेश में अपनी हुकूमत भी गंवा दी. ऐसी हालत में उदास होना लाज़िमी है. भारतीय जनता पार्टी ने जहां गुजरात की अपनी सत्ता बचाई, वहीं हिमाचल प्रदेश भी उसकी झोली में आ गया. ऐसे में प्रधानमंत्री का ख़ुश होकर जनता को संबोधित करना कोई अनोखी और बड़ी बात नहीं है.
फ़र्ज़ करें कि अगर चुनाव नतीजे इससे बिल्कुल उलट होते. भारतीय जनता पार्टी गुजरात हार जाती और कांग्रेस हिमाचल प्रदेश बचाने के साथ ही गुजरात भी जीत जाती, तो उस वक़्त राहुल गांधी भी पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे होते, उनके साथ जश्न मना रहे होते. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस वक़्त क्या करते, ये वही जानें और भारतीय जनता पार्टी वाले जानें.
बहरहाल, राहुल गांधी की ज़ाती ज़िन्दगी में दख़ल देने का किसी को कोई हक़ नहीं है.
राहुल गांधी भी औरों की तरह ही इंसान हैं. वे कोई बेजान मूरत नहीं हैं, जिसके अपने कोई जज़्बात न हों, अहसासात न हों, ख़्वाहिशात न हों. उनके भी अपने सुख-दुख हैं. उन्हें भी ज़िन्दगी जीने का पूरा हक़ है, ख़ुश रहने का हक़ है. जब इंसान परेशान होता है, दिल बोझल होता है, तो वह दिल बहलाने के सौ जतन करता है... कोई किताबें पढ़ता है, कोई गीत-संगीत सुनता है, कोई फ़िल्म देखता है, कोई घूमने निकल जाता है या इसी तरह का अपनी पसंद का कोई काम करता है.
ख़बरों के मुताबिक़ गुज़श्ता 18 दिसंबर की शाम को गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजे आने के बाद राहुल गांधी अपने क़रीबी दोस्तों के साथ हॉलीवुड फ़िल्म 'स्टार वॉर' देखने सिनेमा हॉल चले गए. लेकिन कुछ वक़्त बाद ही वे फ़िल्म बीच में छोड़कर वापस आ गए. कुछ लोगों ने उन्हें सिनेमा हॊल में देख लिया और फिर क्या था, भारतीय जनता पार्टी ने इसे एक बड़ा सियासी मुद्दा बना दिया.
भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की काम करने की क्षमता पर तंज़ कसते हुए कई ट्वीट्स किए. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने ना केवल गुजरात चुनाव हारा, बल्कि जहां पार्टी की सरकार थी, हिमाचल प्रदेश में, वहां भी हार गई, लेकिन राहुल गांधी इस बात का आंकलन ना करके फ़िल्म देखने निकल गए.’ एक के बाद एक ट्वीट कर अमित मालवीय ने राहुल से पूछा कि, 'अगर राहुल ने सिनेमा छोड़ गुजरात में ही पार्टी के प्रदर्शन का आंकलन किया होता, तो उन्हें पता चल जाता कि सौराष्ट्र जहां वह सबसे ज़्यादा सीटें जीते हैं, वहां भी बीजेपी को सबसे ज़्यादा वोट मिले हैं. यहां बीजेपी को 45.9 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 45.5 प्रतिशत.
कहा जा रहा है कि जिस वक़्त प्रधानमंत्री दोनों राज्यों की जनता को संबोधित कर रहे थे, ठीक उसी वक़्त राहुल गांधी फ़िल्म का लुत्फ़ उठा रहे थे. दरअसल, उस वक़्त राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालत में बहुत फ़र्क़ था. कांग्रेस दोनों राज्यों में चुनाव हारी है, और उसने हिमाचल प्रदेश में अपनी हुकूमत भी गंवा दी. ऐसी हालत में उदास होना लाज़िमी है. भारतीय जनता पार्टी ने जहां गुजरात की अपनी सत्ता बचाई, वहीं हिमाचल प्रदेश भी उसकी झोली में आ गया. ऐसे में प्रधानमंत्री का ख़ुश होकर जनता को संबोधित करना कोई अनोखी और बड़ी बात नहीं है.
फ़र्ज़ करें कि अगर चुनाव नतीजे इससे बिल्कुल उलट होते. भारतीय जनता पार्टी गुजरात हार जाती और कांग्रेस हिमाचल प्रदेश बचाने के साथ ही गुजरात भी जीत जाती, तो उस वक़्त राहुल गांधी भी पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे होते, उनके साथ जश्न मना रहे होते. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस वक़्त क्या करते, ये वही जानें और भारतीय जनता पार्टी वाले जानें.
बहरहाल, राहुल गांधी की ज़ाती ज़िन्दगी में दख़ल देने का किसी को कोई हक़ नहीं है.
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