खाने के वक़्त मौत

ज्योतिष एक ऐसा इल्म है, जो माज़ी, हाल और मुस्तक़बिल के बारे में कई बातें बता देता है... बशर्त बताने वाला इसमें माहिर हो, इसका आलिम हो... हमने बहुत सी बातें सच होते हुए देखी हैं... हमारे नाना जान इल्मे-नजूम के जानकार थे... वे भी जो बताते थे, वह सही साबित होता था... फ़िलहाल दो वाक़ियात का ज़िक्र कर रहे हैं...

हमारे बचपन की बात है... हमारे दादा जान के एक दोस्त थे... वे ज्योतिष शास्त्र के विद्वान थे...  सितारों की चाल देखकर वे जो बताते थे, वह सच होता था... उनकी बताई दो बातें हमने भी देखीं हैं, जो सौ फ़ीसद सही साबित हुईं...

पहली, हम अपने पुराने घर आए थे... पापा हमें पहुंचा कर वापस चले गए थे... कुछ रोज़ बाद हम और हमारे भाइयों की तबियत बहुत ख़राब हो गई... दादा जान के दोस्त पापा से मिले और उन्होंने उनसे कहा कि बेटा आज ही अपने शहर चले जाओ... पापा ने वजह पूछी, तो वे टाल गए... पापा आए और उन्होंने हम अबको बीमार पाया... चंद रोज़ बाद हमारे दादा जान का इंतक़ाल हो गया... कुछ अरसे बाद हम सब वापस अपने घर आ गए...

दूसरी, पापा के दोस्त के पिता ने एक बार दादा जान के दोस्त से अपनी मौत के बारे में पूछा... उन्होंने बताने से मना कर दिया और कहा कि ऐसी बातें नहीं जाननी चाहिए... लेकिन उन्होंने ज़िद कर ली... इस पर उन्होंने कहा कि मैं बस एक बात बताऊंगा, उससे आगे मत पूछना... वे मान गए... उन्होंने बताया कि तुम्हारी मौत खाने के वक़्त होगी... उन्होंने अपनी मौत के बारे में पूछ तो लिया, लेकिन फिर उन पर मौत का ख़ौफ़ ऐसा तारी हुआ कि उन्होंने अपनी पसंदीदा मछली खानी छोड़ दी... उन्हें लगता था कि शायद मछली का कांटा उनके हलक़ में फंस जाएगा, जिससे उनकी मौत हो जाएगी...

इस तरह कई बरस बीत गए... एक दिन वे ग्राहकों से पैसे इकट्ठे करने गांव गए हुए थे... उनके पीछे उनके बेटे की किसी बात पर पड़ौस के दुकानदार से लड़ाई हो गई और वह बंदूक़ लेने के लिए घर चला गया. वे गांव से लौटकर आए और अपनी गद्दी पर बैठ गए... तभी पड़ौस का दुकानदार आया और उनके सिर पर लाठी से कई वार कर दिया... मौक़े पर ही उनकी मौत हो गई... उस वक़्त दोपहर का एक बज रहा था, यानी खाने का वक़्त था... उनकी भविष्यवाणी सच हुई...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)

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