आज फ़ादर्स डे है...


आज फ़ादर्स डे है... हमारे लिए हर पल ही फ़ादर्स डे है, क्योंकि हम अपने पापा के वजूद का ही एक हिस्सा हैं और पापा आज भी हम में ज़िन्दा हैं...
हमारे पापा ख़ुद से ज़्यादा अपने बच्चों को चाहते थे... पापा को घर आते देख हम उनके पास दौड़ जाते और पापा घर में दाख़िल होने से पहले ही हमें गोद में उठा लेते और चीज़ दिलाने ले जाते... सोते में एक लफ़्ज़ मुंह से निकलता-पानी, तो पापा हमें पानी पिलाते... हमें याद नहीं कि बचपन में कभी हमने ख़ुद उठकर पानी पिया हो... पापा हमें स्कूल लेकर जाते... फिर स्कूल से लेकर भी आते... जब तक पापा ज़िन्दा रहे, हम घर जाते तो उन्हें घर से बाहर ही बेचैन टहलते देखते... पापा कहते- फ़िरदौस आने वाली है... और वो हमारे इंतज़ार में घर के बाहर ही टहलते रहते... ये जानते हुए कि हमारे घर आने में अभी कई घंटे बाक़ी हैं... हमसे पहले कभी पापा ने खाना नहीं खाया... कभी हमारी आंखें नम नहीं होने दीं... ये है हमारे पापा की हमारे लिए मुहब्बत... पापा के जाने के बाद ही दुख-तकलीफ़ का अहसास हुआ... ज़िन्दगी में पापा की कमी सबसे ज़्यादा खलती है...
अल्लाह हमारे पापा की मग़फ़िरत करे और उन्हें जन्नतुल-फ़िरदौस में आला मुक़ाम अता करे, आमीन...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)

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