ख़ूबसूरत हाथ...


बचपन में सहेलियों के साथ गिट्टे खेलते थे... अम्मी देख लेतीं, तो कहतीं, गिट्टे मत खेला कर, हाथ ख़राब हो जाएंगे... अम्मी ने कभी बर्तन और कपड़े भी नहीं धोने दिए. उनका कहना था कि इन कामों से हमारे हाथ ख़राब हो जाएंगे... अम्मी कहती थीं कि ससुराल में तो सब काम करने पड़ेंगे, लेकिन यहां तो बेटी को शहज़ादी की तरह रखो... हमने पढ़ाई के साथ बहुत से काम सीख लिए, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई... अच्छे खाने पकाने... बाद में पढ़ाई के साथ नौकरी की... इसलिए घर के कामों के लिए वक़्त नहीं मिला... अम्मी जैसा चाहती थीं, वैसा ही हुआ... हमारे हाथ सबको बहुत ख़ूबसूरत लगते हैं...
कई बरस पहले की बात है... रेलगाड़ी में सफ़र कर रहे थे... हमारे सामने वाली सीट पर एक साहब बैठे थे... उन्होंने हमसे कहा, बेटा तुम्हारा कला से गहरा रिश्ता है... हमने पूछा, आप ये कैसे कह सकते हैं. वो बोले, तुम्हारे हाथ बहुत ख़ूबसूरत हैं... बात तो सच थी... लेकिन इसका हाथों की ख़ूबसूरती से क्या ताल्लुक़ है, हम नहीं जानते...
अकसर लड़कियां पूछती हैं कि तुम हाथों पर क्या लगाती हो, जो तुम्हारे हाथ इतने ख़ूबसूरत हैं... लेकिन वो शायद ये नहीं जानती कि हाथ ख़ूबसूरत होने से कुछ नहीं होता, क़िस्मत ख़ूबसूरत होनी चाहिए...


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1 Response to "ख़ूबसूरत हाथ..."

  1. Anita says:
    11 जून 2015 को 1:38 pm बजे

    आपके हाथ और किस्मत ही खूबसूरत नहीं है आप की बातें भी बहुत खूबसूरत हैं..यह बात हर post के लिए सही है

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