तस्वीर...


फ़िरदौस ख़ान
लड़की सफ़ेद रुमालों पर बेल-बूटे बनाया करती थी. जितनी ख़ूबसूरत वो ख़ुद थी, उतने ही ख़ूबसूरत वो बेल-बूटे होते थे, जिन्हें वो दिन भर फ़्रेम में लगे रुमालों पर रेशमी धागों से काढ़ा करती थी. वो रुमालों पर रंग-बिरंगे फूल बनाती. इन रेशमी धागों की तरह उसकी आंखों में भी सतरंगी ख़्वाब चमकते थे. लड़की इन रुमालों को बेचकर अपना गुज़ारा कर रही थी.
एक दिन लड़की ने सोचा कि अगर वो बाज़ार में रुमालों को बेचे, तो उसे ठीक-ठाक आमदनी हो जाएगी. यह सोचकर उसने एक कंडी में रुमाल रखे और बाज़ार की तरफ़ चल दी. उसके दो-चार रुमाल ही बिक पाए. उसने सोचा कि वो शहर के कारोरियों को ये रुमाल बेच देगी. यह सोचकर वो कारोबारियों के पास गई, लेकिन यह क्या. किसी ने भी उसके ख़ूबसूरत रुमालों पर ध्यान नहीं दिया. उसकी कला की तारीफ़ नहीं की. उनकी नज़र बस लड़की के ख़ूबसूरत चेहरे पर टिक कर रह जाती. वो उसकी ख़ूबसूरती में क़सीदे पढ़ते और उससे शहर साथ चलने को कहते. लड़की बहुत परेशान हो गई. उसने अपने रुमाल समेटे और बोझल मन से अपने घर की तरफ़ चल दी.
रास्ते में एक बड़ा कारोबारी मिल गया, उसने लड़की से उसकी परेशानी पूछी, तो उसने सारा माजरा कह सुनाया.  इस कारोबारी ने भी उसके साथ दूसरे कारोबारियों जैसा ही बुरा बर्ताव किया. लड़की घबरा गई और वहां से भागने लगी. कारोबारी ने लड़की का दुपट्टा पकड़ लिया. लड़की दुपट्टा छुड़ा कर भागी, तो वहां उगी झाड़ियों में उसका दुपट्टा फंस गया.  लड़की ने पूरी ताक़त से दुपट्टा खींचा और बदहवास-सी भागने लगी. उसका दुपट्टा जगह-जगह से फट गया था.
जब वो बहुत दूर आ गई, तो राह में रुककर उसने सांस ली. वो सोचने लगी कि इस हालत में वो जाए, तो कहां जाए. तभी उसे उस मुसव्विर (चित्रकार) का ख़्याल आया, जो उससे मुहब्बत करता था. लड़की ने सोचा कि वो उसकी मदद ज़रूर करेगा, वो उसे सिर ढकने के लिए आंचल ज़रूर देगा. उस लड़की के चेहरे पर अब सुकून था. उसे उम्मीद थी कि मुसव्विर के पास जाकर वह ख़ुद को महफ़ूज़ तसव्वुर करेगी.
लड़की उसके घर पहुंचती है. मुसव्विर हाथ में ब्रश लिए खड़ा है और उसके सामने एक कोरा कैनवास है.      लड़की उसे सारा वाक़िया सुनाती है. मुसव्विर उससे कहता है कि वो ऐसे ही खड़ी रहे, क्योंकि वो इसी हालत में उसकी एक तस्वीर बनाना चाहता है.
यह सुनकर लड़की की रूह कांप जाती है. उसका दिल चीख़ उठता है. उसके सारे ख़्वाब पल भर में ही चकनाचूर होकर बिखर जाते हैं. उसकी मुहब्बत के फूल कांटे बनकर उसकी रूह को लहू-लुहान करने लगते हैं. उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं.
वो सोचती है कि उन कारोबारियों और इस मुसव्विर में क्या फ़र्क़ है...

तस्वीर : गूगल से साभार
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1 Response to "तस्वीर..."

  1. Satish Saxena says:
    9 अप्रैल 2015 को 10:22 pm बजे

    मंगलकामनाएं आपको !

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