वक़्त...


-फ़िरदौस ख़ान
हर चीज़ की अहमियत वक़्त पर ही हुआ करती है... वक़्त निकल जाने पर आबे-हयात भी आबे-हयात नहीं रह जाता... उस दूध की क्या अहमियत, जो बच्चे के भूख से बिलख-बिलख कर मर जाने के बाद मिले... उस दवा की क्या अहमियत, जो मरीज़ की मौत के बाद मिले... उस इंसाफ़ की क्या अहमियत जो, किसी को सूली पर चढ़ा दिए जाने के बाद मिले... उस पछतावे की क्या अहमियत, जो किसी की ज़िन्दगी तबाह और बर्बाद करने के बाद हो...
क़ुदरत ने हर चीज़ का वक़्त मुक़र्रर किया है... सूरज निकलने का अपना वक़्त है... रात आने का अपना वक़्त है... मौसम भी अपने-अपने वक़्त पर आया करते हैं... लेकिन अज़ाब से निजात का कोई वक़्त नहीं है... सारी उम्र अज़ाब में ही गुज़र गई...

(हमारी एक कहानी से)

तस्वीर : गूगल से साभार
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

2 Response to "वक़्त..."

  1. कविता रावत says:
    8 नवंबर 2014 को 1:16 pm बजे

    मौसम भी अपने-अपने वक़्त पर आया करते हैं... लेकिन अज़ाब से निजात का कोई वक़्त नहीं है.....बहुत सही ...

  2. Kailash Sharma says:
    8 नवंबर 2014 को 7:47 pm बजे

    बहुत सच कहा है...

एक टिप्पणी भेजें