मेहंदी
एक उम्र होती है, जब कोई अच्छा लगने लगता है... और लड़कियां मेहंदी से हथेली पर उसका नाम लिख लिया करती हैं... और फिर चुपके-चुपके उस नाम को निहारा करती हैं... दिन भर उनका सारा ध्यान अपनी हथेली पर ही रहता है कि कहीं कोई उनके महबूब का नाम न पढ़ ले... बरसों पहले हमने एक ग़ज़ल लिखी थी... उसका एक शेअर अर्ज़ है-
हाथ भी रहते हैं साये में मेरे आंचल के
जब हथेली पे तेरा नाम लिखा होता है...
-फ़िरदौस ख़ान
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