दो तबक़े
दुनिया में दो ही तबक़े हुआ करते हैं... एक ताक़तवर और दूसरा कमज़ोर... हमेशा ताक़तवर सही (?) होता है और कमज़ोर ग़लत... यह बात बहुत जगह लागू होती है... जब इंसान जंगली था और जंगलों में रहता था, तब भी ऐसा होता था... और आज भी कमोबेश यही हो रहा है... यानी इंसान का रहन-सहन और खान-पान बदला है, लेकिन उसकी सोच आज भी वही है...
इसे कई संदर्भों में देखा जा सकता है...
-महिलाओं का शोषण (अत्याचार)
-दलितों का शोषण
-मज़दूरों का शोषण
-ज़मींदारों द्वारा ग़रीब किसानों का शोषण...
बहरहाल, ताक़तवरों द्वारा कमज़ोरों के शोषण की फ़ेहरिस्त बहुत लंबी है...
इसीलिए हम हमेशा एक बात कहते हैं- कुछ लोग हमेशा सही (?) होते हैं...
(हमारी डायरी से)
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