नज़्म


किताबें
तस्वीरें और ख़त
यादों का ज़ख़ीरा ही तो हैं
जिस पर
हमेशा के लिए
बस जाने को
ये दिल चाहता है...
-फ़िरदौस ख़ान

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4 Response to "नज़्म"

  1. रश्मि शर्मा says:
    25 अक्तूबर 2013 को 10:47 am बजे

    बि‍ल्‍कुल सही

  2. Pratibha Verma says:
    25 अक्तूबर 2013 को 11:18 am बजे

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

  3. Asha Joglekar says:
    26 अक्तूबर 2013 को 2:33 am बजे

    सही कहा किताबें, उनमें दबे कत और तस्वीरें यादों के कितने गलियारे घुमवाती हैं.

  4. Asha Joglekar says:
    26 अक्तूबर 2013 को 2:36 am बजे

    सही कहा खत किताबें तस्वीरें यादों के कितने गलियारे घुमवाती हैं।

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