ब्लॉगवाणी से अनुरोध : असामाजिक तत्वों का बहिष्कार करे...
बस एक लफ़्ज़-ए-सदाक़त ज़बां से क्या निकला
हर एक हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है...
कुछ असामाजिक तत्व (इस्लाम के ठेकेदार ब्लोगर) जो ब्लॉगवाणी के सदस्य भी हैं... बेहद बेहूदा कमेन्ट कर रहे हैं... अब अति हो चुकी है...इसलिए ही हमें यह सब लिखने पर मजबूर होना पड़ा...
ब्लॉगवाणी से हमारा अनुरोध है कि ऐसे तत्वों को बाहर का रास्ता दिखाए...
हर एक हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है...
कुछ असामाजिक तत्व (इस्लाम के ठेकेदार ब्लोगर) जो ब्लॉगवाणी के सदस्य भी हैं... बेहद बेहूदा कमेन्ट कर रहे हैं... अब अति हो चुकी है...इसलिए ही हमें यह सब लिखने पर मजबूर होना पड़ा...
ब्लॉगवाणी से हमारा अनुरोध है कि ऐसे तत्वों को बाहर का रास्ता दिखाए...
साथ ही अपने भाइयों और बहनों से अनुरोध है कि वो भी वो इन ग़द्दार और असभ्य लोगों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं...
ये लोग एक तरफ़ तो ख़ुद तो दूसरे धर्मों की पवित्र किताबों और देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक लेख और टिप्पणियां लिख रहे हैं और दूसरी तरफ़ चैन-अमन की बात करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर बेहूदा टिप्पणियां कर रहे हैं... हालत यह है कि ये लोग मेल के ज़रिये भी धमका रहे हैं...
इनका मक़सद सिर्फ़ धार्मिक भावनाएं भड़काकर देश के चैन-अमन के माहौल को ख़राब करना और नफ़रत फैलाना ही है...
ये लोग अपने गिरेबान में नहीं झांकते... जबकि यहां तो टॉयलेट में जाने से संबंधित आयतें भी हैं...
ये बहुसंख्यक वर्ग की महानता है कि वो इस तरह की बातों को बीच में नहीं लाते...
नफ़रत, नफ़रत को बढ़ाती है... और प्रेम, सिर्फ़ प्रेम का माहौल ही पैदा करता है...
हमें इस नफ़रत की आग को फैलने से रोकना है...
इसलिए ज़रूरी है कि ऐसे ब्लोगों का बहिष्कार किया जाए...
इसमें ब्लॉगवाणी भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर इस पुनीत कार्य का हिस्सा बने...
हमारा अपने देश और समाज के प्रति जो नैतिक दायित्व है... आओ सब मिलकर उसका पालन करें...
देश और समाज को तोड़ने की गद्दारों की किसी भी साजिश को कामयाब न होने दें...
जय हिंद
वन्दे मातरम्...
@महफूज़ साहब...
इस मुल्क को... इस दुनिया को आप जैसे क़ाबिल लोगों की ज़रूरत है...
आपने सही कहा है...आपका लेवल कि इन लोगों को कोई जवाब दिया जाए...
वैसे भी ये लोग 'इंसान' तो हैं नहीं... (इन लोगों ने बाकायदा ऐलान कर रखा है कि हम इंसान तो हैं, लेकिन मुसलमान नहीं...)
जो लोग इंसान नहीं होते, उन्हें क्या कहा जाता है...बताने की ज़रूरत नहीं... ये पब्लिक है सब जानती है...
वैसे भी ये लोग जिस एजेंडे को लेकर चल रहे हैं... एक न एक दिन इस मुल्क का क़ानून इन्हें ख़ुद सबक़ सिखा देगा...
@ भाइयों और बहनों
हमें भाइयों और बहनों का स्नेह और समर्थन मिल रहा है... हम उनका आभार जताकर उनके स्नेह को कम नहीं आंकना चाहते हैं... बस, यही कहना चाहेंगे कि आपकी दुआओं (स्नेह) से हमारी राहें रौशन हैं...
ये लोग एक तरफ़ तो ख़ुद तो दूसरे धर्मों की पवित्र किताबों और देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक लेख और टिप्पणियां लिख रहे हैं और दूसरी तरफ़ चैन-अमन की बात करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर बेहूदा टिप्पणियां कर रहे हैं... हालत यह है कि ये लोग मेल के ज़रिये भी धमका रहे हैं...
इनका मक़सद सिर्फ़ धार्मिक भावनाएं भड़काकर देश के चैन-अमन के माहौल को ख़राब करना और नफ़रत फैलाना ही है...
ये लोग अपने गिरेबान में नहीं झांकते... जबकि यहां तो टॉयलेट में जाने से संबंधित आयतें भी हैं...
ये बहुसंख्यक वर्ग की महानता है कि वो इस तरह की बातों को बीच में नहीं लाते...
नफ़रत, नफ़रत को बढ़ाती है... और प्रेम, सिर्फ़ प्रेम का माहौल ही पैदा करता है...
हमें इस नफ़रत की आग को फैलने से रोकना है...
इसलिए ज़रूरी है कि ऐसे ब्लोगों का बहिष्कार किया जाए...
इसमें ब्लॉगवाणी भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर इस पुनीत कार्य का हिस्सा बने...
हमारा अपने देश और समाज के प्रति जो नैतिक दायित्व है... आओ सब मिलकर उसका पालन करें...
देश और समाज को तोड़ने की गद्दारों की किसी भी साजिश को कामयाब न होने दें...
जय हिंद
वन्दे मातरम्...
@महफूज़ साहब...
इस मुल्क को... इस दुनिया को आप जैसे क़ाबिल लोगों की ज़रूरत है...
आपने सही कहा है...आपका लेवल कि इन लोगों को कोई जवाब दिया जाए...
वैसे भी ये लोग 'इंसान' तो हैं नहीं... (इन लोगों ने बाकायदा ऐलान कर रखा है कि हम इंसान तो हैं, लेकिन मुसलमान नहीं...)
जो लोग इंसान नहीं होते, उन्हें क्या कहा जाता है...बताने की ज़रूरत नहीं... ये पब्लिक है सब जानती है...
वैसे भी ये लोग जिस एजेंडे को लेकर चल रहे हैं... एक न एक दिन इस मुल्क का क़ानून इन्हें ख़ुद सबक़ सिखा देगा...
@ भाइयों और बहनों
हमें भाइयों और बहनों का स्नेह और समर्थन मिल रहा है... हम उनका आभार जताकर उनके स्नेह को कम नहीं आंकना चाहते हैं... बस, यही कहना चाहेंगे कि आपकी दुआओं (स्नेह) से हमारी राहें रौशन हैं...
18 अप्रैल 2010 को 1:27 pm बजे
आज के समय में कुछ लोगों ने दूसरों की धार्मिक भावनाएं भड़काने का कार्य शुरू किया है और वे माहौल को विषाक्त कर सुर्ख़ियों में बने रहने का प्रयत्न करते रहते हैं ! इन लोगों ने कुछ अनाम लोगों के कमेंट्स छाप कर यह दिखाने का प्रयत्न किया है कि यह अनाम लोग हमारे धर्म का अपमान करने की कोशिश कर रहे हैं अतः हम लोग केवल प्रतिकार कर रहे हैं जिससे लोग हमें कमजोर न समझें !
अपने नाम को, अपनी अधकचरी विद्वता बघार कर , दूसरों की भावना को आघात पंहुचाने वालों का, हर व्यक्ति द्वारा बहिष्कार होना चाहिए तथा देश के कानूनों के तहत इन्हें सजा मिलनी चाहिए !
18 अप्रैल 2010 को 1:43 pm बजे
बहन जी आप इनके कंमैंट पर डिलीट मार दिया करें....कहने को तो ब्लोगवाणी की पोलिसी है कि वे बदनीयती से प्रेरित ब्लोग की सदस्यता समाप्त कर देते हैं ....पर लगता तो नहीं....ब्लोगवाणी को चाहिये की इस गंदगी को जल्द से जल्द साफ किया जाये.....
18 अप्रैल 2010 को 1:49 pm बजे
Firdaus, tum aage nikal gayeen... raat me main bhi yahi sab likhne wala tha ek post par par 3 baj chuke the isliye so gaya tha
ab aaj likhta hoon.
18 अप्रैल 2010 को 2:01 pm बजे
हम आपका अनुमोदन करते हैं -अब तो पानी सर से ऊपर हो चला है -मैथिली जी से अनुरोध है कुछ ध्यान अवश्य दें -मगर आप तब तक ऐसे कमेंट्स को डिलीट करती चलें !
18 अप्रैल 2010 को 2:11 pm बजे
ab comments to koi bhi kar sakta he bas aap to un ki comments ho post kare jo sahi lage aap ko
shekhar kumawat
18 अप्रैल 2010 को 2:13 pm बजे
वाकई अब समय आ गया है कि या तो इन लम्पटों को निकाल बाहर किया जाए या फिर इन्हे उचित दण्ड दिया जाए....धर्म की आड लेकर ये लोग जो निहायत ही घिनौना खेल खेल रहे हैं, उसकी रोकथाम के लिए अब कोई कठोर कदम उठाया जाना बेहद जरूरी हो गया है...वर्ना इनके नापाक मन्सूबे समाज को न जाने किस गर्त में ले डूबें ।
18 अप्रैल 2010 को 2:22 pm बजे
फिरदौस बहन , इसे कहते है बोल्डनेस और पढ़े-लिखे इंसान की समझदारी ! मैं आपका इसलिए समर्थन नहीं कर रहा कि चूँकि आप इन कुछ इस्लाम परस्तों की बखिया उधेड़ रही है, बल्कि इसलिए कर रहा हूँ कि आपमें वो समझने की शक्ति है जिसे आम इंसान नहीं समझता ! एक होता है परिपूर्ण ज्ञानशील और एक होता है थोथा चना , यहाँ पर थोथे चनो ने ही माहौल बिगाड़ के रख छोड़ा है! इनकी ओंछी मानसिकता इनके लेखन से ही प्रकट हो जाती है ! और ये सोचते हैं कि ये पौपुलर हो रहे है ! गधों को अगर इस में ही ख़ुशी मिल रही है तो लेट .... इसीलिए मैं उनके ब्लोगों पर कोई प्रतिक्रियाव्यक्त नहीं करता !
18 अप्रैल 2010 को 2:32 pm बजे
हम तो पहले ही आवाज उठा चुके हैं इस बारे में देखें हमारा ये पोस्ट - "ब्लोगवाणी के द्वारा दुर्भाव का जहर उगलने वाले ब्लोग्स की सदस्यता बनाये रखने का क्या औचित्य है?"
किन्तु हमारे संकलकों के कान पर जूँ भी नहीं रेंगी इसलिये हमने तो अब मनःस्थिति बना लिया है कि हम ही इन संकलकों से रेंग लें याने कि निकल जायें।
मजे की बात तो यह है कि ये लोग स्वयं टिप्पणी करके तथा अपने चमचों से करवा के हमारे संकलकों को धोखा दे रहे हैं किन्तु संकलकों को यह दिखाई नहीं पड़ता, कुम्भकर्णी निद्रा व्याप्त है उन्हें।
18 अप्रैल 2010 को 2:54 pm बजे
firdos ji aap kaafi achha likh rahi hai or aap insaaniyt ki baat karti hai sahi mayno me aapki chand laaino ne dil ko chu liyaa or tippni diye binaa rahaa nhi gya
18 अप्रैल 2010 को 3:04 pm बजे
अच्छा लिखा है. पर काफी पहले चैटिंग के दौरान भी इसी तरह के तत्व आया करते थे, जिन्हें ignore कर दिया जाता था. उन्की बातों का कोई प्रत्योत्तर नहीं देता था...थक हार कर वे चले जाते थे...
18 अप्रैल 2010 को 3:26 pm बजे
hum sab ka poorna samarthan aapke sath hai.
18 अप्रैल 2010 को 3:42 pm बजे
इन लोगों ने बहुत आतंक नहीं, गंध मचा रखा है| इस्लाम के प्रति आदर भाव को समाप्त करने में इनका बहुत बड़ा योगदान है| मैं तो अब इनके ब्लॉग को पढ़ता भी नहीं, या कभी पढ़ भी लूँ, तो कोई टीका टिप्पणी नहीं|
18 अप्रैल 2010 को 3:44 pm बजे
Asamajik tatwa kahin bhi hon ye aapse vamainsyta ke beej bone se baaj nahi aate....
Hum aapki baaton ka samarthan karte hain..
18 अप्रैल 2010 को 4:13 pm बजे
Kuch log islam ko badnam karne par lage huye hain.
18 अप्रैल 2010 को 7:05 pm बजे
आपके अनुरोध पर हम भी गौर करेंगे
18 अप्रैल 2010 को 7:49 pm बजे
संपूर्णत: सहमत।
18 अप्रैल 2010 को 8:00 pm बजे
I support this and make a humble request to aggregators to remove these blogs who are creating and spread hatred and misinterpret Hindu vedic scriptures. Thanks for voice Ms Firdos
18 अप्रैल 2010 को 8:06 pm बजे
जी नहीं, बिल्कुल बने रहने चाहिये, जिससे कि हम और आप ऐसे घिनौने चेहरों को पहचान सकें अन्यथा भले और बुरे में फर्क कैसे पता चलेगा....
18 अप्रैल 2010 को 8:18 pm बजे
फिरदोस बहिन आपका प्रयास व्यर्थ नहीं जायेगा क्या इतने लोगों की भावनाएं आपको तसल्ली नहीं करती कि आप सही हैं हाथी गुजर जाता है कुत्ते भोंकते रहते हैं
18 अप्रैल 2010 को 8:24 pm बजे
फ़िरदौस जी ,
बहुत दिनों से इस समस्या को पहले पनपते हुए फ़िर इसे बढते हुए और अब एक नासूर की तरह बढते हुए देख रहा हूं । मुझे पहले ही अंदाज़ा था कि ये सब एक खास एजेंडे के तहत किया जा रहा है । इसका उपाय भी यही की है , रोज ही संकंलकों से पोस्टों के माध्यम से आग्रह किया जाए कि इस तरह की पोस्टों को ब्लोगवाणी पर न दिखाया पढाया जा सके । और ऐसा सभी करें । यदि बात इससे भी नहीं बनती दिखती तो फ़िर मजबूरन हमें ही ब्लोगवाणी का त्याग करना होगा ,आपकी भावना का सम्मान करते हुए अभी सिर्फ़ इतना ही कि हम आपके साथ हैं , और हम भी यही आग्रह करते हैं अजय कुमार झा
18 अप्रैल 2010 को 8:32 pm बजे
मैं आपकी बात का पुरजोर समर्थन करता हूँ. एक बार मैंने इनके अज्ञान को भ्रम समझ कर इनकी शंका का निवारण किया था पर जैसे ही मुझे इनकी नियत का पता चला मैंने अपने व्यक्तिगत तौर पर इनका बहिष्कार कर दिया है. मैं इनका कोई लेख पढ़ने में अपना समय का दुरूपयोग कतई नहीं करता हूँ. अफ़सोस देश के लोगो की तरह इस ब्लॉग समाज में भी पढ़े लिखे लोग अक्सर इन उलटे सीधे लेखो को पढ़ने और तर्क करने में अपनी शान समझते है और इसलिए ऐसे कुतर्को वाले लेख अक्सर सबसे ज्यादा हॉट और चर्चा में होते है. अगर कुछ लोग व्यक्तिगत तौर पर इस तरह के लेखक और लेखो का बहिष्कार करे तो ये समस्या अपने आप सुलझ जायेगी.
18 अप्रैल 2010 को 8:37 pm बजे
सही बात. ब्लॉगवाणी जैसे उम्दा संकलक को डस्टबिन बनते देखना दुखी करता है. लम्पटों पर लात चलाने का समय आ गया है.
18 अप्रैल 2010 को 9:14 pm बजे
jin-jin ke blog hatane chahiye wo sab aapki is post par tippani de chuke hain
18 अप्रैल 2010 को 9:21 pm बजे
ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत इन दोनों ही संकलकों पर ये अतिवादी चिट्ठे सुपर हिट होते जा रहे हैं, समस्या यह है कि वे समाज में जहर घोल रहे हैं और एक दिन दंगे का रूप ले सकते हैं.
अतः हम सभी के निवेदन को ये दोनों ही संकलक सुन लें.
मैं मानता हूँ कि सबको कुछ भी कहने की आजादी है और होनी चाहिए, पर आप दोनों संकलक-चालकों को भी अपना सामाजिक उत्तरदायित्व नहीं भूलना चाहिए. आपको भी तो यह अधिकार है कि किस चिट्ठे को दिखाएँ और किसे नहीं.
18 अप्रैल 2010 को 11:05 pm बजे
श्री अजय कुमार झा सही कह रहे हैं हमें ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत का त्याग करना होगा. इन दोनों संकलकों में यह सब गंदे ब्लाग आ रहे हैं. अजय कुमर झा जी की पहल पर मैंने भी यह फैसला किया है कि इन गंदे ब्लाग दिखलाने वाले संकलकों ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत का त्याग करूं. अब मैंने अपने ब्लाग चिट्ठाजगत और ब्लागवणी से हटवा लिये हैं और मैं वहां जाऊंगा भी नहीं. अजय कुमार झा जी को राह दिखलाने के लिये धन्यवाद. हम इनके फैसले का पूर्ण समर्थन करते हैं.
19 अप्रैल 2010 को 1:10 am बजे
मैं तो रोज़ ही गाली खाता हूँ.... ऐसे लोगों से.... फिर यह सोच कर चुप हो जाता हूँ...कि मेरा लेवल इन चीप लोगों को जवाब देने का नहीं है.... वैसे यह लोग जिस दिन मेरे हत्थे आमने-सामने पड़ जायेंगे.... तो इन लोगों कि हर चीज़ मैं खराब कर दूंगा....इन जैसों को मैं क्या बताऊँ कि .... मैं ऐसे प्रोफेशन में हूँ... जहाँ माफिया और मॉस पावर होती है.... मुझे तो सिर्फ कहना भर रहेगा कि.... बिना मेरा नाम आये इतना मारो...इतना मारो...कि ABCD भूल जाएँ....
फ़िरदौस .... वैसे मुझे इन लोगों के नाम बताओ... जिन लोगों ने उलटे-सीधे कमेन्ट दिए हैं... कभी तो यह हत्थे चढ़ेंगे...... आख़िर मैं ऐसे लोगों के लिए रिफाइंड गुंडा जो ठहरा.....
19 अप्रैल 2010 को 1:40 am बजे
आपके उदघोष में साथ हूं
फ़िरदौस जी मेरी भूमिका बताएं
वंदे मातरम
19 अप्रैल 2010 को 1:41 am बजे
इस आंदोलन क शंखनाद हो चुका है
इस बहन की अगिआई हमें स्वीकार्य है
19 अप्रैल 2010 को 5:37 am बजे
आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा यहाँ भी तो है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_19.html
19 अप्रैल 2010 को 7:20 am बजे
@महफूज़ साहब...
इस मुल्क को... इस दुनिया को आप जैसे क़ाबिल लोगों की ज़रूरत है...
आपने सही कहा है...आपका लेवल कि इन लोगों को कोई जवाब दिया जाए...
वैसे भी ये लोग 'इंसान' तो हैं नहीं... (इन लोगों ने बाकायदा ऐलान कर रखा है कि हम इंसान तो हैं, लेकिन मुसलमान नहीं...)
जो लोग इंसान नहीं होते, उन्हें क्या कहा जाता है...बताने की ज़रूरत नहीं... ये पब्लिक है सब जानती है...
वैसे भी ये लोग जिस एजेंडे को लेकर चल रहे हैं... एक न एक दिन इस मुल्क का क़ानून इन्हें ख़ुद सबक़ सिखा देगा...
@ भाइयों और बहनों
हमें भाइयों और बहनों का स्नेह और समर्थन मिल रहा है... हम उनका आभार जताकर उनके स्नेह को कम नहीं आंकना चाहते हैं... बस, यही कहना चाहेंगे कि आपकी दुआओं (स्नेह) से हमारी राहें रौशन हैं...
19 अप्रैल 2010 को 7:57 am बजे
bahnkuchh log mansik roop se bimar hote hain ve log in bimariyon ko jbrdsti smaj me failate hain prntu yh chhoot ki bimari hai failti bhi jldi hai
pr hme apna swasth itna mjboot bnana hai ki in ki bimari ka ilaj ho jaye aur hm bhe bhi yh bimari n lge
bolgvani ka yh krtvy bn jata hai ki vh is anaitik kary ko turnt roke
mai blog vani se mang krta hoon ki aise dushkrityo ko turnt prbhav se bnd kre
dr. ved vyathit
19 अप्रैल 2010 को 10:20 am बजे
सच है इस तरह धार्मिक भावनाओ से छेद-छाड़ सही नहीं ... आपने मेरे मन की बात अपने मन से कह डाली .....मेरा समय बच गया शुक्रिया मोहतरमा
19 अप्रैल 2010 को 10:37 am बजे
اُنکو اِتنی توزّو دیکر آپ اُنکے ہؤسلے کو پُخ تا کر رہیں ہیں، خ انم ۔
زرُورت اِس بات کی ہے اُنکو کمینٹ کرنے سے بلاک کر دیں ۔ یہ آپ اَپنے گُوگل ایکاُّںٹ سے بکھُوبی کر سکتی ہیں ۔
ایگریگیٹر جو کِ آٹومیٹِک پِںگ کے جرِیے کام کرتا ہے، یہ مُمکِن ن ہوگا ۔
اَگر اِسے مینُاَلی کِیا جایے تو یہ مُدّا اُٹھیگا کِ ہِندُستان میں اِسلام کے نُمائیندو کو بولنے کی آزادی نہیں ہے ۔
ہم اُنہیں ٹھیکیدار کہتے ہیں، وہ اَپنے کو رہنُما و کھیرخ واہ ٹھہراتے ہیں ۔ سںزیدگی سے سوچِیے، اِس ترہ کی ہلّا-بول پوسٹ نُکسان دیںگی ۔
19 अप्रैल 2010 को 10:41 am बजे
बजा-ए-इसके कि लोग मेरे कमेन्ट के लफ़्ज़ों का अँदाज़ा गलत नज़रिये से निकालें, उसका तरज़ुमा दे देना बेहतर... सो,
"
उनको इतनी तवज़्ज़ो देकर आप उनके हौसले को पुख़्ता कर रहीं हैं, ख़ानम ।
ज़रूरत इस बात की है उनको कमेन्ट करने से ब्लाक कर दें । यह आप अपने गूगल एकाउँट से बखूबी कर सकती हैं ।
एग्रीगेटर जो कि आटोमेटिक पिंग के जरिये काम करता है, यह मुमकिन न होगा ।
अगर इसे मैनुअली किया जाये तो यह मुद्दा उठेगा कि हिन्दुस्तान में इस्लाम के नुमाइन्दो को बोलने की आज़ादी नहीं है ।
हम उन्हें ठेकेदार कहते हैं, वह अपने को रहनुमा व खैरख़्वाह ठहराते हैं । सँज़ीदगी से सोचिये, इस तरह की हल्ला-बोल पोस्ट नुकसान ही देंगी ।
"
19 अप्रैल 2010 को 11:57 am बजे
फ़िरदौस जी, आपने सही मुद्दा उठाया है… और महफ़ूज़ भाई ने भी सटीक जवाब दिया है।
इस बारे में मेरा यह कथन है - कुछ माह पहले भी इसी गैंग के एक चिरकुट खुर्शीद ने भी एक नापाक हरकत की थी और एक महिला को ब्लॉग पर सरेआम बेइज्जत किया था। उस समय ब्लॉगवाणी ने एक्शन लेकर उसका गन्दा ब्लॉग संकलक से हटा दिया था… एक और ब्लॉग है "भड़ास" जिसे ब्लॉगवाणी कब का निकाल चुका है (क्योंकि उसमें गालियों से ही टिप्पणियों और पोस्ट की शुरुआत होती थी), जबकि इन दोनो मामलों में चिठ्ठाजगत ने इन ब्लॉग्स को बाहर करने से मना कर दिया था। तात्पर्य यह कि जब मर्ज़ हद से ज्यादा बढ़ जाये तब ब्लॉगवाणी कुछ न कुछ एक्शन अवश्य लेगा, लेकिन चिठ्ठाजगत से यह उम्मीद नहीं है। अब आपने और महफ़ूज़ ने आवाज़ उठाई है (नारीवादियों ने आपका समर्थन किया है) तो शायद कुछ असर हो…
19 अप्रैल 2010 को 12:00 pm बजे
mera kehana hai kee aise logon ka bahishkar zaruree hai.
19 अप्रैल 2010 को 12:17 pm बजे
आपकी पोस्ट का क्या असर होगा, पता नहीं. इससे पहले भी अबधिया साहब कोशिश कर चुके है. खैर ब्लॉगवाणी या अन्य किसी एग्रीगेटर की अपनी नीति है, हम कम से कम यह कर सकते है कि वहाँ जाएं ही नहीं. चाहे कोई कितना भी उकसाए.
19 अप्रैल 2010 को 12:24 pm बजे
इन लोगों ने बहुत आतंक नहीं, गंध मचा रखा है| इस्लाम के प्रति आदर भाव को समाप्त करने में इनका बहुत बड़ा योगदान है
20 अप्रैल 2010 को 10:50 am बजे
फ़िरदौस, ये लोग आपके लेखन से बौखलाए हुए हैं.
इनसे आपके किसी सवाल का जवाब तो दिया नहीं जाता.
ऐसे में ये आपको हतोत्साहित करने के लिए तमाम हथकंडे अपनाएंगे.
इन लोगों से 'नीचता' के अलावा और कोई उम्मीद भी नहीं की जा सकती?
जो लोग औरत को 'लावारिस गोश्त' समझते हों, उनकी खुद की बहन-बेटियों की हालत क्या होगी? सोचकर ही रूह कांप जाती है.
@महफूज़ अली
आप बहुत अच्छे इंसान है. हमेशा फ़िरदौस का साथ दीजिएगा.
20 अप्रैल 2010 को 3:02 pm बजे
हिंदी ब्लोगर के aggregator आप इस लेख पर गहराई से सोचें .
जय हिंद
20 अप्रैल 2010 को 4:56 pm बजे
आपके अनुरोध पर विचार होना चाहिए.
आप एक काम करें, बेहूदा कमेन्ट करने वालों का बहिष्कार करिए.
सभी भाइयों और बहनों से विनती है की वो भी ऐसा ही करें.