खिला-खिला दिन


आज कितना खिला-खिला दिन है. अम्बर पर सूरज चमक रहा है. ज़मीन पर बिखरी हुई सूरज की सुनहरी किरनें कितनी भली लग रही हैं. गहरे नीले आसमान पर दूधिया बादल उड़े-उड़े फिर रहे हैं. क्यारियों में लगी चमेली की शाख़ें हवा में झूम रही हैं. गुलाब और बेला भी अपनी महक से फ़िज़ा को रूमानी बना रहे हैं. कितना सुहाना मौसम है. दिल चाहता है कि ये वक़्त यही ठहर जाए.
फ़िरदौस ख़ान 



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