वजूद...

उसने कहा-
तुम सिर्फ़ मेरी महबूबा ही नहीं हो
तुम मेरा इश्क़ हो
मेरी दीवानगी हो
मैंने अपनी ज़बान से ही नहीं
अपने दिल से
और अपनी रूह से
ख़ुद को तुम्हें समर्पित कर दिया है
तुम्हारे क़दमों में ही मेरा क़रार है
मैं तुम्हारा ग़ुलाम हूं
इसके सिवा मेरा और कोई वजूद नहीं है...
-फ़िरदौस ख़ान
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