तुम्हारे ज़ेरे-साये में रहूं…

मेरे महबूब !
तुम्हारी रफ़ाक़त के साये में
मेरी बेचैन रूह सुकून पाती है...

तुम्हारी गुफ़्तगू की ख़ुशबू से
दिलो-दिमाग़ महक उठते हैं...

तुम्हारी अक़ीदत के नूर से
मेरी ज़िन्दगी रौशन है...

तुम पर हमेशा
अल्लाह की रहमत बरसती रहे
और
अज़ल से अबद तक
मैं तुम्हारे ज़ेरे-साये में रहूं...
-फ़िरदौस ख़ान


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