सफ़ेद फूल...


सफ़ेद फूल... सफ़ेद फूलों में हमारी रूह बसती है... सफ़ेद फूल हमें बचपन से ही बहुत पसंद हैं...
बेला, गुलाब, जूही, चम्पा, चमेली, मोगरा, रात की रानी के सफ़ेद फूल खिलते हैं, तो फ़िज़ा महक उठती है... और इन सफ़ेद फूलों की भीनी-भीनी महक मन को लुभाती है... इन सफ़ेद फूलों पर हम यूं ही जां निसार नहीं करते... कुछ तो बात है इनमें...

बुज़ुर्ग औरतें कहती हैं कि सफ़ेद फूलों पर असरात होते हैं... बरसों पहले हमने कई चमेली के पौधे लगाए थे, जो बहुत फैल गए थे... कई औरतों ने कहा कि चमेली घर में लगाना ठीक नहीं है... उसके बाद से अम्मी ने चमेली के कई बड़े झाड़ हटवा दिए... चमेली का एक पौधा हमने अपने नये घर में लगाया... कुछ महीनों में चमेली ख़ूब फैल गई... छत तक ऊंची हो गई... चमेली को यूं फलते-फूलते देखकर बहुत अच्छा लगता है... आंगन में सफ़ेद फूलों के कई पौधे हैं... एक सफ़ेद रंग का सदाबहार भी लगाया हुआ है, ताकि हमारे आंगन में सफ़ेद फूल हमेशा खिलते रहें...
(ज़िन्दगी किताब का एक वर्क़)

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