बदलाव
इंसान हमेशा एक जैसा रहे, ये ज़रूरी तो नहीं... बाज़ दफ़ा अच्छे लोग बाद में बुरे हो जाते हैं, और बुरे लोग अच्छे बन जाते हैं... ज़िन्दगी में कई मोड़ ऐसे आया करते हैं कि इंसान बदल जाता है...
तक़रीबन चार बरस पहले की बात है... जिस इमारत में हमारी सहेली का फ़्लैट है, उसमें बनी एक दुकान एक शख़्स ने ख़रीदी और किराने की दुकान खोल ली... वो शख़्स की एक बहुत बुरी आदत थी कि वह हर लड़की-औरत को देखकर फ़िल्मी गाने गाता... नतीजतन, उस इलाक़े की औरतें उसे बुरा-भला कहतीं... कई औरतें कहतीं कि हम तो उस तरफ़ से भी नहीं जाते, रास्ता बदल लेते हैं, भले ही ज़्यादा क़दम चलना पड़े...
एक दिन हम अपनी सहेली के साथ नीचे उतरे, तो उसने देखकर गाना शुरू कर दिया... हमने कहा कि बहनों को देखकर भाई ऐसे गाने नहीं गाया करते...
एक रोज़ एक औरत उसे कोसने लगी... हमने कहा कि आप उसे क्यों कोसती हैं... दुआ करें कि ख़ुदा उसे हिदायत दे और वो सुधर जाए... इस वाक़िये के कुछ दिन बाद सुनने में आया कि उसकी दुकान में आग लग गई, काफ़ी नुक़सान हुआ... कुछ रोज़ बाद एक हादसे में वह ज़ख़्मी हो गया... हमारा वहां से गुज़रना हुआ, तो हमने उससे उसकी ख़ैरियत पूछी और कहा कि भाई अपना ख़्याल रखा करें...
वो दिन है और आज का दिन है... अब वो न तो किसी लड़की या औरत को देखकर कोई गाना गाता है न ही इमारत के आसपास किसी को फ़िज़ूल में ख़ड़े होने देता है...
एक रोज़ हमने उससे कहा कि हमारी सहेली घर पर अकेली है, इसलिए वह मेन गेट बंद करना चाहती है... उसका जो फ़्लैट ख़ाली पड़ा है, उसमें उसे कोई काम है, तो कर ले, ताकि वह दरवाज़ा बंद कर सके...
उसने कहा कि किसी तरह की फ़िक्र मत करना, तुम्हारा भाई नीचे ही है...
अब वह शख़्स आते-जाते सलाम करता है और ख़ैरियत पूछता है... कोई इतने जल्दी इतना बदल भी सकता है, कुछ लोग ये देखकर हैरान होते हैं...
12 जनवरी 2016 को 4:49 pm बजे
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १२०० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "तुम्हारे हवाले वतन - हज़ार दो सौवीं ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !