हमारा ख़ुदा...
हम उस ख़ुदा को मानते हैं, जिसने ये कायनात बनाई है... जो सारे आलम का मालिक और पालनहार है... जो अपने बन्दों से लिंग, मज़हब या ज़ात की बुनियाद पर किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं करता... जिसके लिए मर्द और औरत दोनों बराबर हैं... जो मर्द को आला और औरत को कमतर नहीं मानता... जो मर्द को पाक और औरत को नापाक नहीं मानता... जो नेक कामों के लिए औरत को भी वही ईनाम देता है, जो मर्द को देता है... और बुरे कामों के लिए मर्दों को भी वही सज़ा देता है, जो औरतों को देता है...
ऐसा है हमारा ख़ुदा...
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