उम्मीद
फ़िरदौस खान
अमूमन ’उम्मीद’ को लेकर ’गिलास’ की मिसाल दी जाती है, जो आधा पानी से भरा हुआ या आधा ख़ाली है... कहा जाता है कि आशावादी कहेगा कि गिलास आधा भरा हुआ है... और निराशावादी कहेगा कि गिलास आधा ख़ाली है...
अगर गिलास सचमुच पूरा ही ख़ाली हो, तो...?
तो भी आशावादी रहो और शुक्र करो कि कम से कम गिलास तो है...
अगर गिलास न हो, तो...?
तो भी आशावादी रहो और शुक्र करो कि अगर गिलास गुम हो जाता या चोरी हो जाता तो...
कम से कम गिलास के खोने के दुख से तो बच गए...
तस्वीर गूगल से साभार
22 जुलाई 2015 को 9:27 am बजे
वाह ! यह हुई न बात