दुनियावी ख़्वाहिशात और रूहानी सफ़र


इंसान जब दुनियावी ज़िन्दगी बसर करता है, तो उसे वो सब चाहिए होता है, जो ज़िन्दगी के लिए बहुत ही ज़रूरी है... उसे मुहब्बत चाहिए, रिश्ते चाहिए, घर चाहिए... इन्हें पाने के लिए वो दिन-रात जद्दोजहद करता है... मन्नतें-मुरादे मानता है... और अपनी इन्हीं ख़्वाहिशों के जंगल में भटकता रहता है...

लेकिन जब वो दुनियावी ज़िन्दगी छोड़कर रूहानी सफ़र पर निकल पड़ता है, तब उसे सिवाय दीदारे-इलाही के कुछ नज़र नहीं आता... वो हर चीज़ को, हर ख़्वाहिश को पीछे छोड़ जाता है...
(हमारी डायरी से)

तस्वीर गूगल से साभार
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