मुहब्बत...


  • एक औरत आख़िर मर्द से चाहती क्या है... क्या सिर्फ़ एक छत, दो वक़्त का खाना और चार जोड़ी कपड़े... जो एक छत, दो वक़्त का खाना और चार जोड़ी कपड़े देता है, वो मुहब्बत नहीं देता... और जो मुहब्बत करता है, वो घर नहीं दे सकता...
  • मुहब्बत का ख़ूबसूरती से कोई ताल्लुक़ नहीं है... अगर ऐसा होता, तो वो लोग मुहब्बत से महरूम रह जाते, जो ज़्यादा ख़ूबसूरत नहीं हैं...
  • क्यूं इंसान किसी को इतनी शिद्दत से चाहता है कि उसके बग़ैर अपना ही वजूद पराया लगने लगता है...
  • जो लोग औरत को ’सामान’ समझते हैं, वो औरत की मुहब्बत से महरूम रह जाते हैं... क्योंकि दुनिया की कोई भी औरत किसी भी ऐसे शख़्स से मुहब्बत नहीं कर सकती, जो उसे ’इंसान’ नहीं, ’सामान’ समझता हो...
  • मुहब्बत उसी को मिलती है, जो मुहब्बत के क़ाबिल होता है...
  • मुहब्बत में लोग बादशाहत ठोकर मार दिया करते हैं और महबूब की ग़ुलामी क़ुबूल कर लेते हैं...
  • कुछ क़र्ज़ ऐसे हुआ करते हैं, जिसे इंसान कभी नहीं चुका सकता, जैसे रफ़ाक़त का क़र्ज़...
  • उसके बिना हर मौसम उदास लगता है...उन दमकती आंखों की ये मेहर क्या कम है कि उन्होंने ख़ुश रहने की वजह दी है...
  • कुछ लोग घरों में रहा करते हैं, और कुछ दिलों में, जैसे तुम...
  • वो मेरी ज़िन्दगी का हासिल है, जो नज़रों से दूर है, पर दिल के क़रीब है...
  • (हमारी एक कहानी से)

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