पापा
हमारा बचपन
ज़िन्दगी में कुछ वाक़ियात ऐसे हुआ करते हैं, जो इंसान को भीतर से तोड़ देते हैं... पापा का जाना भी एक ऐसा ही वाक़िया है. पापा को इस दुनिया से गए चार साल हो गए हैं, लेकिन ये कल ही की बात लगती है... उस दिन 11 अप्रैल 2011 यानी 8 जुमादा अल अव्वल 1432 हिजरी का पीर की रात थी... अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से आज पापा की बरसी है... पापा की याद को समर्पित एक नज़्म...पापा
आप बहुत याद आते हो...
मैं जानती हूं
अब आप इस दुनिया में नहीं हो
लेकिन
दिल हरगिज़ ये मानने को राज़ी नहीं
कि आप इस दुनिया से चले गए...
पापा
आप आज भी मुझमें ज़िन्दा हो
हर आहट पर लगता है
आप आओगे और पूछोगे
मेरी शहज़ादी कैसी है...
पापा
आपसे बिछड़ कर
आपकी शहज़ादी बहुत उदास रहती है
क्योंकि
आपकी तरह उसे चाहने वाला कोई नहीं
पापा
उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा
जब आपकी शहज़ादी आपके पास होगी
और
फिर हम हमेशा साथ रहेंगे...
-फ़िरदौस ख़ान
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