ख़ुशी...
ख़ुश रहना भी एक कला है... और बच्चे इस कला में माहिर हुआ करते हैं... वे जानते हैं कि कैसे ख़ुश रहा जाता है... कल ख़ुशी नाम की एक बच्ची ने हमसे कहा कि दीदी परसो यही सूट पहनना... हमने पूछा, परसो क्या है...? उसने कहा कि परसो मेरा बर्थ डे है... हमने कहा कि पिछले हफ़्ते ही तो तुम्हारा बर्थ डे था... कहने लगी, तो क्या हुआ... परसो भी मेरा बर्थ डे है... हमने कहा, ठीक है... लेकिन यह सूट क्यों पहनें... कहने लगी, मुझे यह कपड़े बहुत अच्छे लगते हैं... सुर्ख़ और हरे रंग का महीन काम वाला यह सूट हमारे एक रिश्तेदार कराची से लाए थे... पिछली ईद पर हमने इसे पहना था... पहली क्लास में पढ़ने वाली ख़ुशी को यह सूट बहुत पसंद है... शायद इसका चटक़ रंग और सुनहरा काम... उसे भाता है... ख़ैर, ख़ुशी की ख़ुशी के लिए कल हम यही सूट पहनकर उसके पास जाएंगे... आख़िर कल उसका बर्थ डे है... यानी वीकली बर्थ डे... :)
तस्वीर : गूगल से साभार
9 सितंबर 2014 को 8:28 pm बजे
मन के भावों को लिख दिया ....बहुत खूब