ताल्लुक़ बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा...
फ़िरदौस ख़ान
माना ज़िन्दगी में प्रेम की भी अपनी अहमियत है...मगर प्रेम ही तो सबकुछ नहीं है...ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है...और उससे भी ख़ूबसूरत होते हैं हमारे इंद्रधनुषी सपने...हमें अपनी भावनाएं ऐसे व्यक्ति से नहीं जोड़नी चाहिए, जो इस क़ाबिल ही न हो... जिस तरह पूजा के फूलों को कूड़ेदान में नहीं फेंका जा सकता, उसी तरह अपने प्रेम और इससे जुडी कोमल भावनाओं को किसी दुष्ट प्रवृति के व्यक्ति पर न्योछावर नहीं किया जा सकता.
पिछले दिनों दो ऐसे हादसे हुए जो प्रेम, विश्वासघात और ख़ुदकुशी से जुड़े थे. दोनों ही हादसों में दो होनहार लड़कियों की ज़िन्दगी ख़त्म हो गई. दोनों ने ही अपने प्रेमियों के बर्ताव से आहत होकर मौत को गले लगा लिया. पहला मामला है जमशेदपुर की 22 वर्षीय आदिवासी छात्रा मालिनी मुर्मू का, जिसने अपने प्रेमी के रवैये से आहत होकर ख़ुदकुशी कर ली. उसका बेंगलूर में ही रहने वाले उसके ब्वायफ्रेंड से हाल में कथित तौर पर कुछ मनमुटाव और कहासुनी हुई थी. इसके बाद लड़के ने फेसबुक में अपने वॉल पर एक संदेश में लिखा था- 'मैं आज बहुत आराम महसूस कर रहा हूं. मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़ दिया है. अब मैं स्वतंत्र महसूस कर रहा हूं. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.' मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के मुताबिक़ सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर मालिनी के ब्वॉयफ्रैंड ने उससे संबंध तोड़ लिए थे. इससे उसे गहरा आघात लगा और उसने क्लास में भी जाना छोड़ दिया. क्लास में उसे नहीं पाकर जब उसके दोस्त हॉस्टल के कमरा नंबर 421 में गए तो उसने दरवाज़ा नहीं खोला. गार्ड्स को बुलाकर दरवाज़ा तुड़वाया गया. कमरे के भीतर मालिनी का शव पंखे से झूलता मिला.
मालिनी ज़िन्दगी में एक बड़ा मुक़ाम हासिल करना चाहती थी. उसने साकची के राजेंद्र विद्यालय से दसवीं की पढ़ाई की थी. इसके बाद उसने उड़ीसा के आईटीई से बारहवीं पास की. वह आईआईएम बेंगलुरू में एमबीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी. लैपटॉप में छोड़े अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा है- ‘उसने मुझे छोड़ दिया, इसलिए आत्महत्या कर रही हूं.’
दूसरा मामला है 36 वर्षीय एयरफोर्स की पूर्व महिला फ्लाइंग ऑफिसर अंजलि गुप्ता का, जिसने अपने विवाहित प्रेमी ग्रुप कैप्टन अमित गुप्ता के विश्वासघात से दुखी होकर कथित तौर पर ख़ुदकुशी कर ली थी. अंजलि के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अमित गुप्ता उसके साथ पिछले सात साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा था. दोनों की मुलाक़ात साल 2001 में कर्नाटक के बेलगांव में उस वक़्त हुई, जब अंजलि ने बतौर फ्लाइंग ऑफिसर पहली पोस्टिंग ली थी. उस दौरान अमित वहां ग्रुप कैप्टन थे. अमित ने उसके साथ दोस्ती बढ़ाई, फिर शादी करने का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध भी बनाए. अमित ने अपनी पहली पत्नी से तलाक़ लेकर उससे शादी रचाने का वादा भी किया था, लेकिन शादी नहीं की. शाहपुरा पुलिस को भोपाल के फॉच्यरून ग्लोरी निवासी अमित गुप्ता के मकान से अंजलि की लाश मिली थी. उसने दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगाई थी.
ये दोनों ही लड़कियां अति भावुक थीं. ख़ुदकुशी करते वक़्त इनकी मनोस्थिति क्या रही होगी, इसे समझा जा सकता है...लेकिन इन्होंने अपनी ज़िन्दगी ख़त्म करके अच्छा नहीं किया. अगर ये थोड़ा समझदारी और धैर्य से काम लेतीं तो आज ज़िंदा होतीं. ऐसी कोई वजह नहीं थी कि इन्हें ज़िन्दगी में अच्छे लड़के नहीं मिलते. अगर इन्हें लग रहा था कि इनके प्रेमी इनके साथ धोखा कर रहे हैं, तो इन्हें अपने प्रेमियों को छोड़ देना चाहिए था.
बक़ौल साहिर लुधियानवी-
तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक़ बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा...
ज़िन्दगी चलते रहने का नाम है...और इसकी सार्थकता चलते रहने में ही है... किसी दुष्ट के लिए अपनी ज़िन्दगी क्यों बर्बाद की जाए...
पिछले दिनों दो ऐसे हादसे हुए जो प्रेम, विश्वासघात और ख़ुदकुशी से जुड़े थे. दोनों ही हादसों में दो होनहार लड़कियों की ज़िन्दगी ख़त्म हो गई. दोनों ने ही अपने प्रेमियों के बर्ताव से आहत होकर मौत को गले लगा लिया. पहला मामला है जमशेदपुर की 22 वर्षीय आदिवासी छात्रा मालिनी मुर्मू का, जिसने अपने प्रेमी के रवैये से आहत होकर ख़ुदकुशी कर ली. उसका बेंगलूर में ही रहने वाले उसके ब्वायफ्रेंड से हाल में कथित तौर पर कुछ मनमुटाव और कहासुनी हुई थी. इसके बाद लड़के ने फेसबुक में अपने वॉल पर एक संदेश में लिखा था- 'मैं आज बहुत आराम महसूस कर रहा हूं. मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़ दिया है. अब मैं स्वतंत्र महसूस कर रहा हूं. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.' मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के मुताबिक़ सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर मालिनी के ब्वॉयफ्रैंड ने उससे संबंध तोड़ लिए थे. इससे उसे गहरा आघात लगा और उसने क्लास में भी जाना छोड़ दिया. क्लास में उसे नहीं पाकर जब उसके दोस्त हॉस्टल के कमरा नंबर 421 में गए तो उसने दरवाज़ा नहीं खोला. गार्ड्स को बुलाकर दरवाज़ा तुड़वाया गया. कमरे के भीतर मालिनी का शव पंखे से झूलता मिला.
मालिनी ज़िन्दगी में एक बड़ा मुक़ाम हासिल करना चाहती थी. उसने साकची के राजेंद्र विद्यालय से दसवीं की पढ़ाई की थी. इसके बाद उसने उड़ीसा के आईटीई से बारहवीं पास की. वह आईआईएम बेंगलुरू में एमबीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी. लैपटॉप में छोड़े अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा है- ‘उसने मुझे छोड़ दिया, इसलिए आत्महत्या कर रही हूं.’
दूसरा मामला है 36 वर्षीय एयरफोर्स की पूर्व महिला फ्लाइंग ऑफिसर अंजलि गुप्ता का, जिसने अपने विवाहित प्रेमी ग्रुप कैप्टन अमित गुप्ता के विश्वासघात से दुखी होकर कथित तौर पर ख़ुदकुशी कर ली थी. अंजलि के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अमित गुप्ता उसके साथ पिछले सात साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा था. दोनों की मुलाक़ात साल 2001 में कर्नाटक के बेलगांव में उस वक़्त हुई, जब अंजलि ने बतौर फ्लाइंग ऑफिसर पहली पोस्टिंग ली थी. उस दौरान अमित वहां ग्रुप कैप्टन थे. अमित ने उसके साथ दोस्ती बढ़ाई, फिर शादी करने का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध भी बनाए. अमित ने अपनी पहली पत्नी से तलाक़ लेकर उससे शादी रचाने का वादा भी किया था, लेकिन शादी नहीं की. शाहपुरा पुलिस को भोपाल के फॉच्यरून ग्लोरी निवासी अमित गुप्ता के मकान से अंजलि की लाश मिली थी. उसने दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगाई थी.
ये दोनों ही लड़कियां अति भावुक थीं. ख़ुदकुशी करते वक़्त इनकी मनोस्थिति क्या रही होगी, इसे समझा जा सकता है...लेकिन इन्होंने अपनी ज़िन्दगी ख़त्म करके अच्छा नहीं किया. अगर ये थोड़ा समझदारी और धैर्य से काम लेतीं तो आज ज़िंदा होतीं. ऐसी कोई वजह नहीं थी कि इन्हें ज़िन्दगी में अच्छे लड़के नहीं मिलते. अगर इन्हें लग रहा था कि इनके प्रेमी इनके साथ धोखा कर रहे हैं, तो इन्हें अपने प्रेमियों को छोड़ देना चाहिए था.
बक़ौल साहिर लुधियानवी-
तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक़ बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा...
ज़िन्दगी चलते रहने का नाम है...और इसकी सार्थकता चलते रहने में ही है... किसी दुष्ट के लिए अपनी ज़िन्दगी क्यों बर्बाद की जाए...
बहरहाल, इंसान को फ़ैसले लेते वक़्त दिल से ही नहीं दिमाग़ से भी काम लेना चाहिए...
आख़िर में
सोशल नेटवर्किंग साइट फ़ेसबुक ऐसी प्रणाली लॉन्च कर रहा है, जिसकी मदद से लोग अपने ऐसे दोस्तों के बारे में रिपोर्ट कर सकते हैं जो उनकी नज़र में ख़ुदकुशी करने के बारे में सोच रहे हैं. यह सुविधा समैरिटन्स नाम की संस्था के साथ मिलकर शुरु की गई है. इस संस्था का कहना है कि प्रणाली के परीक्षण के दौरान कई लोगों ने इसका इस्तेमाल किया है. यह संस्था ऐसे लोगों को भावनात्मक समर्थन देती है, जो अवसाद या मुश्किल दौर से गुज़र रहे हों. इसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो ख़ुदकुशी कर सकते हैं. अगर आप अपने किसी दोस्त को लेकर फ़िक्रमंद हैं तो फ़ेसबुक पर अपनी चिंताओं के बारे में लिखते हुए एक फ़ॉर्म भर सकते हैं. यह फॉर्म साइट के मॉडरेटरों तक पहुंचा दिया जाता है. फ़ेसबुक के उस पेज का यूआरएल देना होगा, जहां ख़ुदकुशी करने बाबत संदेश लिखा हुआ है. इसके अलावा यूज़र का नाम और वो किस-किस नेटवर्क का सदस्य है...ये जानकारियां भी देनी होंगी. ख़ुदकुशी संबंधी संदेशों के बारे में फ़ेसबुक की टीम को अलर्ट किया जाएगा.
22 सितंबर 2011 को 1:06 pm बजे
सुन्दर लेख ....टिप्पणी में जो लिखना चाहता था उसे भी लेखिका ने पहले ही लिख मारा है ..सही तो कहा है शायर ने कि...
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा...!
-पंकज झा.
22 सितंबर 2011 को 5:11 pm बजे
सार्थक आलेख साथ मे हल भी दे रहा है।
23 सितंबर 2011 को 2:51 pm बजे
बहुत सही लिखा है आपने ... एक प्रेरक प्रस्तुति ।
23 सितंबर 2011 को 6:15 pm बजे
बहुत अच्छा लिखा है आपने...
ज़िन्दगी बेशक़ीमती होती है...इसकी हिफ़ाज़त की जानी चाहिए.
24 सितंबर 2011 को 12:03 am बजे
सार्थक लेख ... फेसबुक के बारे में अच्छी जानकारी मिली ..