ब्लॉगवाणी और ब्लॉगर साथियों, हम आपके शुक्रगुज़ार हैं...
पिछले दिनों ब्लॉग जगत में जो कुछ हुआ... और उस वक़्त जिन ब्लॉगर साथियों ने हमें अपना समर्थन दिया... उसके लिए हम सभी ब्लॉगर साथियों के तहे-दिल से शुक्रगुज़ार हैं...
साथ ही हम ब्लॉगवाणी का भी आभार व्यक्त करते हैं...
हमारे लिए सभी ब्लॉगर आदरणीय और सम्माननीय हैं... इसलिए समझ नहीं आ रहा था कि किसका नाम पहले लिखें... जिनका नाम बाद में आता, शायद हम उनके साथ नाइंसाफ़ी करते, बस इसी को मद्देनज़र रखते हुए हमने किसी भी साथी का नाम नहीं लिखा है...
कुछ साथियों ने सही कहा है कि 'कुछ' (इस्लाम के ठेकेदार, नफ़रत को बढ़ावा देने वाले) ब्लॉगों को ब्लॉगवाणी से हटाने से समस्या का समाधान नहीं होगा...
हर कोई अपनी 'मानसिकता' और अपने 'संस्कारों' का ही प्रदर्शन करता है...
'दिन' को किसी के 'रात' कह देने से उजाला कम तो नहीं हो जाता...
फ़िरदौसी ने सच ही कहा है-
सच पर चलने वालों का हर क़दम शैतान के सीने पर होता है...
जिन लोगों का मक़सद सिर्फ़ नफ़रत की आग फैलाना होता है... शायद वो नहीं जानते कि एक न एक दिन ये आग उनका घर भी फूंक सकती है... देश में हुए कुछ दंगे इसी बात का सबूत हैं...
हम 'वसुधैव कुटुम्बकम्' में यक़ीन रखते हैं... इसलिए हमने हमेशा इंसानियत की बात की है और हमेशा करते रहेंगे...
क्योंकि-
मुझे तालीम दी है मेरी फ़ितरत ने ये बचपन से
कोई रोये तो आंसू पोंछ देना अपने दामन से...
जय हिन्द
वन्दे मातरम्
साथ ही हम ब्लॉगवाणी का भी आभार व्यक्त करते हैं...
हमारे लिए सभी ब्लॉगर आदरणीय और सम्माननीय हैं... इसलिए समझ नहीं आ रहा था कि किसका नाम पहले लिखें... जिनका नाम बाद में आता, शायद हम उनके साथ नाइंसाफ़ी करते, बस इसी को मद्देनज़र रखते हुए हमने किसी भी साथी का नाम नहीं लिखा है...
कुछ साथियों ने सही कहा है कि 'कुछ' (इस्लाम के ठेकेदार, नफ़रत को बढ़ावा देने वाले) ब्लॉगों को ब्लॉगवाणी से हटाने से समस्या का समाधान नहीं होगा...
हर कोई अपनी 'मानसिकता' और अपने 'संस्कारों' का ही प्रदर्शन करता है...
'दिन' को किसी के 'रात' कह देने से उजाला कम तो नहीं हो जाता...
फ़िरदौसी ने सच ही कहा है-
सच पर चलने वालों का हर क़दम शैतान के सीने पर होता है...
जिन लोगों का मक़सद सिर्फ़ नफ़रत की आग फैलाना होता है... शायद वो नहीं जानते कि एक न एक दिन ये आग उनका घर भी फूंक सकती है... देश में हुए कुछ दंगे इसी बात का सबूत हैं...
हम 'वसुधैव कुटुम्बकम्' में यक़ीन रखते हैं... इसलिए हमने हमेशा इंसानियत की बात की है और हमेशा करते रहेंगे...
क्योंकि-
मुझे तालीम दी है मेरी फ़ितरत ने ये बचपन से
कोई रोये तो आंसू पोंछ देना अपने दामन से...
जय हिन्द
वन्दे मातरम्
24 अप्रैल 2010 को 12:36 pm बजे
सादर नमस्कार !
मुझे तालीम दी है मेरी फ़ितरत ने ये बचपन से
कोई रोये तो आंसू पोंछ देना अपने दामन से...
बहुत सुन्दर!
यही भाव इन्सान को इन्सान बनता है|
रत्नेश त्रिपाठी
24 अप्रैल 2010 को 12:41 pm बजे
घर से मस्जिद है बहुत दूर ,चलो यूं कर लें ,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए
24 अप्रैल 2010 को 2:09 pm बजे
अच्छ विवेचनात्मक प्रस्तुती के लिए धन्यवाद /हर अच्छी या बुडी उद्देश्य के शुरुआत में दिक्कते तो आती हैं / लेकिन एकजुटता में संतुलन ईमानदारी से बैठाकर अगर निडरता से आगे बढ़ने की चाह हो तो, सफलता जरूर मिलती है / जरा सोचिये जब अंग्रेज भारत आये होंगे तो सोचा होगा की ,वे अपनी तिकरम से भारत को लूट लेंगे ,ठीक उसी तरह भारत का स्वतंत्रता संग्राम के शुरू में किसी ने नहीं सोचा होगा की, उनको सच्चाई और बलिदान के बदले आजादी मिलेगी / उसी तरह आज ब्लोगिंग के जरिये देश और समाज को बदलने की धारणा कल्पना की उरान की तरह लग रहा है ,लेकिन हम और आप अगर सच्चे मन से बदलाव लाने का मन बना लें ,तो इन भ्रष्टाचारियों और लुटेरों से देश को बचाने में,ब्लॉग और ब्लोगर एक ब्रह्मास्त्र का काम कर सकता है / ऐसा सोचने वाले ब्लोगर एक दुसरे ब्लोगर से हफ्ते में इस विषय पर कम से कम एक पोस्ट अपने ब्लॉग पर और फोन पर भी विचारों का आदान प्रदान जरूर करें हफ्ते में एक बार / ऐसा करने से ही इस विचार को आगे बढाया जा सकता है और रास्ट्रीय स्तर पर एक ब्लोगर फोरम बनाया जा सकता है / मुझसे बात या विचार करने के लिए अभी फोन करें-09810752301
24 अप्रैल 2010 को 2:46 pm बजे
बात किसी ब्लोग या ब्लोगर को ब्लोगवाणी से हटाने की नहीं थी बल्कि गंदगी को ब्लोगवाणी से हटाने की थी। यदि गंदगी ही ना रहे तो उसे ब्लोगवाणी से हटाने सवाल ही नहीं पैदा होता।
24 अप्रैल 2010 को 4:19 pm बजे
Namashkar, Sab kuch aap ki himmat ka hi natija hai. AAj sare log chup ho gaye hain.
24 अप्रैल 2010 को 4:28 pm बजे
विवेचनात्मक प्रस्तुती के लिए धन्यवाद
24 अप्रैल 2010 को 4:50 pm बजे
जो लोग सत्य के साथ होते हैं उनकी जीत होती है।
24 अप्रैल 2010 को 5:26 pm बजे
निरंतर अग्रसर रहो अपने प्रयास जारी रखो बदलाव प्रयास से आता हैं . तुमको अगर कुछ चुभता हैं , तुम्हारे खिलाफ अगर कोई गन्दी टिप्पणी आयी हैं तो उसको निसंकोच ऊपर लाओ क्युकी गलत वो हैं जो ये कर रहे हैं अगर उनको करने मे संकोच नहीं तो हमको कहने मे क्यूँ हो
लोग भूल रहे हैं जो तुम्हारे , मेरे या किसी अन्य नारी के साथ होता हैं वो साइबर क्राइम का नहीं सेक्सुअल हरास्स्मेंट का मुद्दा हैं तुम नहीं भूली ये अच्छा किया
हर प्रमाण को सही रूप से सुरक्षित रखो ताकि वक्त पर काम मे ला सको
अपनी हिम्मत बरकार रखो कोई धर्म कोई मजहब नारी के प्रति "बलात्कारी " मानसिक या शारीरक " परवर्ती को सही नहीं मानता
जो ये कर रहे हैं उनको इसका भुगतान जरुर उठाना होगा और वो समय ज्यादा दूर भी नहीं हैं
तुमको सलाम
24 अप्रैल 2010 को 9:13 pm बजे
आपके हौसले को सलाम
24 अप्रैल 2010 को 10:51 pm बजे
मैं कमेन्ट करूँ या ना करूँ, मगर आपको लगातार पढता आ रहा हूँ.. और आपसे अभी तक सहमत भी हूँ..
25 अप्रैल 2010 को 9:41 am बजे
सच की राह पर चलना अर्थात धारा के विपरीत नाव चलाना। किसी की पंक्तियाँ याद आतीं हैं-
आदत के बाद दर्द भी देने लगा है लुत्फ
हँस हँस के आह आह किये जा रहा हूँ मैं
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com