ज़ियारतगाह


मेरे महबूब !
तुम्हारा दर ही तो 
मेरी ज़ियारतगाह है
जहां 
मैं अपनी अक़ीदत के फूल चढ़ाती हूं...
-फ़िरदौस ख़ान    
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