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Label :
नज़्म
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8:11:00 am
हर दिन उगता है
उदासियों के साथ
और फिर
उसी उदासी में
खो जाती है दोपहर
गहरी उदासियों का
बोझल सफ़र
जारी रहता है
देर शाम तक
और फिर
रात भी
इन्हीं उदासियों में
डूब जाती है...
न जाने क्यों
कई दिन से
मन बहुत उदास है
काश ! तुम पास होते...
-फ़िरदौस ख़ान
23 नवंबर 2013 को 12:45 pm बजे
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
24 नवंबर 2013 को 8:03 am बजे
बढ़िया रचना |
आशा
24 नवंबर 2013 को 11:09 am बजे
उदासी को समेटे मुस्कुराते रहना ही जीवन है :)
24 नवंबर 2013 को 11:33 am बजे
सुन्दर रचना