चांद-सी उज्ज्वल कविताएं
फ़िरदौस ख़ान
मन की कोमल भावनाओं को शब्दों में पिरोना ही काव्य कहलाता है. कविताएं दो तरह की होती हैं, एक छंदयुक्त और दूसरी मुक्तछंद. दरअसल, छंद कविताओं को प्रभावी बनाते हैं और इन कविताओं को गाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि मुक्तछंद कविताएं गाई नहीं जा सकती हैं. ऐसा नहीं है कि छंदमुक्त कविताएं प्रभाव नहीं छो़डतीं, क्योंकि अच्छी कविताएं पाठक पर गहरा असर डालती ही हैं. ग़ौरतलब है कि छंदमुक्त कविताएं सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की देन हैं. कहा जाता है कि काव्य की दुनिया में एक वक़्त ऐसा आया कि कवि छंद पर ज़्यादा ध्यान देने लगे और कविता पर कम. ऐसे में कविता में छंद तो रहा, लेकिन कविता ग़ायब-सी होने लगी. तब निराला छंदमुक्त कविताओं की शुरुआत करके काव्य जगत में नई क्रांति लेकर आए. हालांकि उस उनका काफ़ी विरोध भी हुआ, लेकिन उस विरोध का उन पर कोई असर नहीं हुआ. आज भी छंद के पैरोकार छंदछंदमुक्त कविताओं को काव्य मानने से इंकार करते हुए इन्हें गद्य क़रार देते हैं. मगर इस सबके बावजूद छंदमुक्त कविताओं ने एक लंबा सफ़र तय किया है और इनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. छंदमुक्त कविताओं के आए दिन प्रकाशित हो रहे काव्य संग्रह इनकी जनप्रियता के ही प्रतीक हैं.
हाल में शिल्पायन पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स ने चेतन कश्यप का कविता संग्रह चांद के दर पर दस्तक प्रकाशित किया है. अपने नाम की मानिंद इस कविता संग्रह में शामिल तमाम कविताएं मन को छूने की तासीर रखती हैं. इनमें जहां एक ओर ज़िंदगी की जद्दोजहद है और दुख-सुख की धूप-छांव है, तो वहीं दूसरी ओर वहीं इंद्रधनुषी सपनों को हक़ीक़त में बदलने की ललक भी दिखाई प़डती है. चांद के दर तक पहुंचकर दस्तक देने का जज्बा तो चेतन जैसे कवियों में ही हो सकता है. दरअसल, उनकी कविताएं नए मिज़ाज की ऐसी कविताएं हैं, जिन्हें प़ढकर पाठक सोचने पर मजबूर हो जाता है, क्योंकि इनमें शब्दों का सौंदर्य है, तो अनुभूतियों की गहराई भी है. वह बख़ूबी जानते हैं कि अपनी अनुभूतियों को प्रकट करने के लिए उन्हें किन शब्दों का चयन करना है. यह उनकी ख़ासियत है कि उन्होंने आम बोलचाल के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अपनी भावनाओं को बेहद नफ़ासत के साथ कविताओं में ढाला है. उनकी कविता उदासी को ही देखिए-
आधा अधूरा चांद
कुम्हलाया हुआ
दिखता है
क़िले की दीवार से सर टिकाए हुए
ये कोई आईना है
जिसमें मेरा अक्स दिखता है
या ये कोई पाती है
कि जिसमें तुम्हारी ख़बर आती है
यह किसी रचनाकार की सबसे बड़ी कामयाबी है कि पाठक उसकी रचना से सीधे जु़डकर उससे रिश्ता क़ायम कर लेता है. उनकी कविताएं गहरी छाप छोड़ती हैं. जैसे-
एक अरसे बाद
दिल ने चाहा
कि दुआ मांगी जाए
आंखें ख़ुद-ब-ख़ुद बंद हो गईं
हाथ ख़ुद-ब-ख़ुद जुड़ गए
और मन ने कहा-
सभी इसी तरह ख़ुश रहें, यूं ही ख़ुश रहें
सदा, सर्वदा
चेतन कश्यप की रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. बहरहाल, उनकी कविताएं पढ़कर पाठकों को सुकून की अनुभूति होगी. किताब का आवरण बेहद आकर्षक है. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)
समीक्ष्य कृति : चांद के दर पर दस्तक
कवि : चेतन कश्यप
प्रकाशक : शिल्पायन पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स
29 अगस्त 2013 को 5:35 pm बजे
बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
अभिव्यक्ति......
31 अगस्त 2013 को 2:14 pm बजे
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार -01/09/2013 को
चोर नहीं चोरों के सरदार हैं पीएम ! हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः10 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra