बुधवार, नवंबर 03, 2021

अक़ीदत के दिये...


मेरे महबूब
मेरी रूह में रौशन हैं
तुम्हारी मुहब्बत के दिये
जैसे
घर में के आंगन में
दमकते हैं
अक़ीदत के दिये...
-फ़िरदौस ख़ान

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.11.2015) को "दीपावली विशेषांक"(चर्चा अंक-2157) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपको दीप पर्व की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें!

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  3. रूह में रोशन मुहोब्बत के दिये और घर के आंगन में रोशन अकीदत के दिये, वाह।

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