बुधवार, अक्टूबर 27, 2021

ज़ियारतगाह


मेरे महबूब !
तुम्हारा दर ही तो 
मेरी ज़ियारतगाह है
जहां 
मैं अपनी अक़ीदत के फूल चढ़ाती हूं...
-फ़िरदौस ख़ान    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें