मेरे महबूब !
तुम फ़ज्र की ठंडक हो
इशराक़ की सुर्ख़ी हो
चाश्त का रौशन सूरज हो
ज़ुहर की खिली धूप हो
अस्र की सुहानी शाम हो
मग़रिब का सुरमई उजाला हो
इशा की महकती रात हो
तहज्जुद की दुआ हो
मेरे महबूब
तुम ही तो मेरी इबादत का मरकज़ हो...
-फ़िरदौस ख़ान
शब्दार्थ : फ़ज्र, इशराक़, चाश्त, ज़ुहर, अस्र, मग़रिब, इशा और तहज्जुद –मुख़तलिफ़ अवक़ात की नमाज़ों के नाम हैं.
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