शुक्रवार, सितंबर 11, 2020

उम्मीद


मेरे महबूब! 
ज़ुल्म-ओ-सितम के 
इस दौर में 
उम्मीद की रौशनी हो तुम... 
-फ़िरदौस ख़ान

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