आज पूरे चांद की रात है... हमेशा की तरह ख़ूबसूरत... इठलाती हुई... अंगनाई में खिले सफ़ेद फूल अपनी भीनी-भीनी महक से माहौल को और रूमानी बना रहे हैं... नींद आंखों से कोसों दूर है... पिछले कई दिन से उनसे मुलाक़ात नहीं हुई... चांद आसमान में मुस्करा रहा है...उसकी दूधिया चांदनी अंगनाई में बिखरी हुई है... शाख़ें हवा से झूम रही हैं... गर्मी के मौसम के बावजूद हवा में ठंडक है... बादलों के दूधिया टुकड़े आसमान में कहीं-कहीं तैर रहे हैं... लेकिन जिन्हें दिल ढूंढ रहा है, बस वही नहीं हैं...
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