आज प्रॉमिस डे है, यानी वादों का दिन. एक-दूजे से वादा करने का दिन.
लेकिन हम मानते हैं कि सबके अपने-अपने प्रॉमिस डे हुआ करते हैं, जो किसी भी माह के किसी भी दिन, किसी भी तारीख़ को हो सकते हैं. बहरहाल, इसी बहाने कुछ गुज़श्ता लम्हे सामने आकर खड़े हो गए.
बात कई बरस पुरानी है. वो अपनी अम्मी के साथ खड़े थे. हम भी वहां थे. न जाने क्यों मन बहुत उदास था, इतना उदास कि बयान से बाहर. बाज़ दफ़ा ऐसा होता है कि मन बहुत उदास होता है, लेकिन हमें उदासी की वजह ख़ुद मालूम नहीं होती. शायद हम इस बारे में सोचते ही नहीं हैं कि हम उदास क्यों हैं. इसी तरह कई मर्तबा दिल बहुत ख़ुश होता है. इतना ख़ुश कि हवाओं में उड़ने को दिल चाहता है.
ख़ैर, उनकी नज़र हम पर पड़ी और वो हमारे क़रीब आ गए. उन्होंने हमसे ’कुछ’ कहा. कुछ ऐसा कि हम उन अल्फ़ाज़ को कभी भूल ही नहीं सकते. उनका एक-एक लफ़्ज़ हमारी रूह पर लिखा गया. मुहब्बत की शिद्दत के रंग इतने गहरे थे कि हमारी रूह ही नहीं, हमारा तन-मन भी उन रंगों में रंग गया.
वो शायर नहीं हैं, लेखक नहीं हैं, कोई फ़नकार भी नहीं हैं. जिस पेशे से वो ताल्लुक़ रखते हैं, उसके मद्देनज़र हम सोच भी नहीं सकते थे कि वो मुहब्बत के जज़्बे से सराबोर रूहानी अल्फ़ाज़ का इस तरह से इस्तेमाल भी कर सकते हैं. किसी शायर ने भी शायद ही अपनी महबूबा से इन अल्फ़ाज़ में अपनी मुहब्बत का इक़रार किया होगा, उससे कोई वादा किया होगा.
वो शायर नहीं हैं, लेखक नहीं हैं, कोई फ़नकार भी नहीं हैं. जिस पेशे से वो ताल्लुक़ रखते हैं, उसके मद्देनज़र हम सोच भी नहीं सकते थे कि वो मुहब्बत के जज़्बे से सराबोर रूहानी अल्फ़ाज़ का इस तरह से इस्तेमाल भी कर सकते हैं. किसी शायर ने भी शायद ही अपनी महबूबा से इन अल्फ़ाज़ में अपनी मुहब्बत का इक़रार किया होगा, उससे कोई वादा किया होगा.
वाक़ई मुहब्बत इंसान को किस बुलंदी पर पहुंचा देती है. शायद इसीलिए मुहब्बत में एक बादशाह तक अपनी महबूबा की ग़ुलामी दिल से क़ुबूल कर लेता है.
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)
रोज किसी न किसी DAY को याद किया जाता है मनाया जाता है |मेरा विचार है की कलेंडर की भाँति इन दिनों का भी एक कलेंडर होना चाहिए जिससे याद रह सके की किस दिन कौनसा DAY मनाना है |
जवाब देंहटाएंलेख बहुत अच्छा लगा |
MUHABBAT EK KHUSBOO HAIN,HAMESHA SATH RAHTI HAIN
जवाब देंहटाएंमातृत्व की तैयारी
बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंमेरी २००वीं पोस्ट में पधारें-
"माँ सरस्वती"