शुक्रवार, जुलाई 12, 2013

अल्लाह की राह में...


एक लड़की ने कई माह पहले एक बेहद ग़रीब परिवार को उनकी ज़रूरत के वक़्त दो लाख रुपये उधार दिए... उसने सोचा कि बैंक में भी पैसे पड़े हुए हैं... अगर इन पैसों से किसी की ज़रूरत पूरी हो जाए तो अच्छा है... उस परिवार के लोगों का न तो अपना घर है और न ही इतनी आमदनी कि वो पैसे लौटा सकें... उस परिवार के कमाने वाले लड़के का कहना है कि वो हर माह पांच सौ रुपये उस लड़की के बैंक खाते में डालने की कोशिश करेगा... पहली बात उस लड़के की इतनी भी हैसियत नहीं है कि वो हर माह इतने पैसे भी लौटा सके... दूसरी बात अगर वो ये पैसे इस हिसाब से लौटाएगा, तो रक़म पूरी होने में बरसों लग जाएंगे... ऐसी हालत में पैसे लेने न लेने बराबर हैं...

लड़की चाहती है कि वो अल्लाह के नाम पर ये पैसे मुआफ़ कर दे और इसका सवाब उसके मरहूम वालिद को मिले... क्या ऐसा हो सकता है...? इसका सही तरीक़ा किया है...? इस बारे में आपको जानकारी हो तो बराये-मेहरबानी रहनुमाई कीजिएगा...

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