सोमवार, अप्रैल 05, 2010

यही मुहब्बत है...

कड़ी धूप थी
आसमान से
शोले बरस रहे थे...
उसने कहा-
कितनी प्यारी खिली चांदनी है...
मैंने कहा-
बिल्कुल.
क्यूंकि
मुहब्बत में दिल की सुनी जाती है, ज़ेहन की नहीं
यही मुहब्बत है, मुहब्बत की रिवायत है...
-फ़िरदौस ख़ान

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बढ़िया विचार और कविता....."

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  2. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  3. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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  4. वाह .. क्या लाजवाब बात कही ... मुहब्बत में सच में दिल की सुनी जाती है ...

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  5. बहुत ही बढ़िया शब्दों को पिरो कर बड़ी शानदार सी ग़ज़ल पेश की है आपने!!

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  6. जी हाँ यही मुहब्बत है यही मुहब्बत की रिवायत है ..
    बहुत खूब बेहतरीन

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  7. bahut khoob........agar unka rahe sath
    to din ko kahe raat , lage raat

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  8. यही मुहब्बत है, मुहब्बत की रिवायत है...
    बहुत खूब.
    ’जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे’....
    इस बात को अलग ही अंदाज़ में खूबसूरती से कहा गया है.
    मुबारकबाद.

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  9. कड़ी धूप थी
    आसमान से
    शोले बरस रहे थे...
    उसने कहा-
    कितनी प्यारी खिली चांदनी है...
    मैंने कहा-
    बिलकुल
    क्योंकि...
    मुहब्बत में दिल की सुनी जाती है, ज़हन की नहीं
    यही मुहब्बत है, मुहब्बत की रिवायत है...


    एक-एक लफ़्ज़ समर्पण के जज्बे से सराबोर...

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  10. मुहब्ब्त एहसास का दुसरा नाम है।

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