शनिवार, मार्च 13, 2010

गुलमोहर के दहकते फूल

सुलगती दोपहरी में
खिड़की से झांकते
गुलमोहर के
दहकते फूल
कितने अपने से
लगते हैं...
बिल्कुल
हथेलियों पर लिखे
'नाम' की तरह...
-फ़िरदौस ख़ान

9 टिप्‍पणियां:

  1. हथेलियों पर लिखे नाम नहीं दहकते
    दिल में उठते अरमान दहकते हैं

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति चन्द पंक्तियों में
    बेहतरीन

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  2. वाह गुलमोहर फ़ूलों का तो कहना ही क्या बिल्कुल हथेली पर लिखे नाम की तरह ..सचमुच ..
    अजय कुमार झा

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  3. गुलमोहर की तरह सुन्दर........."
    amitraghat.blogspot.com

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  4. छोटी सी प्यारी सी....सुन्दर प्रस्तुति
    ..........
    जब लहराती है बीबी अपने काले केश,
    और गुनगुनाती है मीठे गीत,
    तो मन करता है,
    फूल बनकर लग जाऊं उसकी चोटी में,
    और झूलने लगूं झूला, गजरा बनकर.
    लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से
    http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_3507.html

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