मैं लफ्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी हूं...
Main Lafzon Ke Jazeere Ki Shahzadi Hoon...میں لفظوں کے جزیرے کی شہزادی ہوں
मंगलवार, मार्च 09, 2010
तन्हाई का मौसम...
जब
ज़िन्दगी की वादियों में
तन्हाई का मौसम हो
और
अरमान
पलाश से दहकते हों...
तब
निगाहें
तुम्हें तलाशती हैं...
और
हर सांस
तुमसे मिलने की दुआ करती है -फ़िरदौस ख़ान
आज बहुत दुखी हूँ.... इस आभासी दुनिया में कभी रिश्ते नहीं बनाने चाहिए... कई रिश्ते दर्द देते हैं.... बहुत दर्द देते हैं... ऐसा दर्द जो नासूर बन जाता है...
वाह! उम्दा!
जवाब देंहटाएंSundar Abhivyakti....Shubhkaamnaae!!
जवाब देंहटाएंHappy Women's Day !!
lajwaab parstuti....
जवाब देंहटाएंनिगाहें तुम्हें तलाशती हैं....
जवाब देंहटाएंजबकि दिल जानता है....
तुम कभी नहीं आओगे....
......वही आपके खास अंदाज़ में पेश की गई नज़्म
बस कुछ ऐसा ही होता है---
कोई वादा नहीं किया तुमने,
फिर भी रहता है इंतज़ार मगर.....
सुन्दर अभिव्यक्ति शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआज बहुत दुखी हूँ.... इस आभासी दुनिया में कभी रिश्ते नहीं बनाने चाहिए... कई रिश्ते दर्द देते हैं.... बहुत दर्द देते हैं... ऐसा दर्द जो नासूर बन जाता है...
जवाब देंहटाएंबहन फ़िरदौस,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत खूबसूरत और दिल को छू देने वाली छोटी मगर बेहद सशक्त रचना !!!
आपका भाई
सलीम ख़ान
bahut hi vedna bhari abhivyakti.
जवाब देंहटाएंइंतेज़ार की इंतेहा है ये .... बहुत खूब लिखा है ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत कविता.बेहद मार्मिक!
जवाब देंहटाएंजब
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी की वादियों में
तन्हाई का मौसम हो
और
अरमान
पलाश से दहकते हों...
तब
निगाहें
तुम्हें तलाशती हैं...
जबकि
दिल जानता है
तुम कभी नहीं आओगे...
दर्द की इंतिहा है....... मगर फिर भी मुहब्बत है.......
बहुत खूब कहा
जवाब देंहटाएंआह!
जवाब देंहटाएंआह!
जवाब देंहटाएंआह!
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