मंगलवार, मार्च 09, 2010

तन्हाई का मौसम...

जब
ज़िन्दगी की वादियों में
तन्हाई का मौसम हो
और
अरमान
पलाश से दहकते हों...
तब
निगाहें
तुम्हें तलाशती हैं...
और
हर सांस
तुमसे मिलने की दुआ करती है
-फ़िरदौस ख़ान

15 टिप्‍पणियां:

  1. निगाहें तुम्हें तलाशती हैं....
    जबकि दिल जानता है....
    तुम कभी नहीं आओगे....
    ......वही आपके खास अंदाज़ में पेश की गई नज़्म

    बस कुछ ऐसा ही होता है---
    कोई वादा नहीं किया तुमने,
    फिर भी रहता है इंतज़ार मगर.....

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर अभिव्यक्ति शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  3. आज बहुत दुखी हूँ.... इस आभासी दुनिया में कभी रिश्ते नहीं बनाने चाहिए... कई रिश्ते दर्द देते हैं.... बहुत दर्द देते हैं... ऐसा दर्द जो नासूर बन जाता है...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहन फ़िरदौस,

    बहुत बहुत बहुत खूबसूरत और दिल को छू देने वाली छोटी मगर बेहद सशक्त रचना !!!

    आपका भाई
    सलीम ख़ान

    जवाब देंहटाएं
  5. इंतेज़ार की इंतेहा है ये .... बहुत खूब लिखा है ....

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही खूबसूरत कविता.बेहद मार्मिक!

    जवाब देंहटाएं
  7. जब
    ज़िन्दगी की वादियों में
    तन्हाई का मौसम हो
    और
    अरमान
    पलाश से दहकते हों...

    तब
    निगाहें
    तुम्हें तलाशती हैं...

    जबकि
    दिल जानता है
    तुम कभी नहीं आओगे...



    दर्द की इंतिहा है....... मगर फिर भी मुहब्बत है.......

    जवाब देंहटाएं