मंगलवार, अप्रैल 27, 2010

इस प्यार ने क्या कुछ बदला है...

सच!
आज पहली बार
सुबह सूरज निकला तो
कितना भला लगा
सूरज की सुनहरी किरनों ने
चूम लिया बदन मेरा
तुम थे कोसों दूर
पर यूं लगा
जैसे
यह प्यार भरा पैगाम
तुमने ही भेजा है
इस प्यार ने क्या कुछ बदला है
कि अब तो
हर शय निखरी-निखरी लगती है...
-फ़िरदौस ख़ान

10 टिप्‍पणियां:

  1. प्यार वो शै है जो सब कुछ बदल देती है
    सुन्दर रचना

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  2. बहुत सुन्दर नज़्म!! अच्छा लगा पढ़कर.

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  3. वाह जी आपके अल्फाज़ का जज़ीरा पसन्द आया
    ---
    गुलाबी कोंपलें

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  4. सूरज की सुनहरी किरनों ने चूम लिया बदन मेरा
    तुम थे कोसों दूर..पर यूं लगा...जैसे...
    यह प्यार भरा पैग़ाम तुमने ही भेजा है...
    बेहतरीन शायरी..दिल को छू गई नज़्म.

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  5. pyaar bhara paigaam n sirf paane wale ko balki bhejne wale ko bhi badal deta hai.

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