मैं लफ्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी हूं...
Main Lafzon Ke Jazeere Ki Shahzadi Hoon...میں لفظوں کے جزیرے کی شہزادی ہوں
मंगलवार, अप्रैल 27, 2010
इस प्यार ने क्या कुछ बदला है...
सच!
आज पहली बार
सुबह सूरज निकला तो
कितना भला लगा
सूरज की सुनहरी किरनों ने
चूम लिया बदन मेरा
तुम थे कोसों दूर
पर यूं लगा
जैसे
यह प्यार भरा पैगाम
तुमने ही भेजा है
इस प्यार ने क्या कुछ बदला है
कि अब तो
हर शय निखरी-निखरी लगती है... -फ़िरदौस ख़ान
सूरज की सुनहरी किरनों ने चूम लिया बदन मेरा तुम थे कोसों दूर..पर यूं लगा...जैसे... यह प्यार भरा पैग़ाम तुमने ही भेजा है... बेहतरीन शायरी..दिल को छू गई नज़्म.
प्यार वो शै है जो सब कुछ बदल देती है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
andaz acchha laga .
जवाब देंहटाएंAti sunder, bahut hi achhhi kavita.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नज़्म!! अच्छा लगा पढ़कर.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लगा. आभार.
जवाब देंहटाएंवाह जी आपके अल्फाज़ का जज़ीरा पसन्द आया
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गुलाबी कोंपलें
JI BAHUT BADHIYA BHAVAABHIVAYACTI!
जवाब देंहटाएंKUNWAR JI,
सूरज की सुनहरी किरनों ने चूम लिया बदन मेरा
जवाब देंहटाएंतुम थे कोसों दूर..पर यूं लगा...जैसे...
यह प्यार भरा पैग़ाम तुमने ही भेजा है...
बेहतरीन शायरी..दिल को छू गई नज़्म.
waah bahut hi sundar andaz hai.
जवाब देंहटाएंpyaar bhara paigaam n sirf paane wale ko balki bhejne wale ko bhi badal deta hai.
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