रविवार, दिसंबर 12, 2010

एक झूठा लफ़्ज़ मुहब्बत का...


सरहद पार से न्यूज़ एंकर सईद साहब ने हमें एक नज़्म भेजी है...
नज़्म का एक-एक लफ़्ज़ रूह की गहराइयों में उतर जाने वाला है...जबसे हमने यह नज़्म पढ़ी है...तब से हम ख़ुद को इसके असर से जुदा नहीं कर पाए हैं...इस नज़्म में ऐसा क्या है, जिसने हमें इस क़द्र बांध लिया है...उसे लफ़्ज़ों में क़ैद करके बयां करने में ख़ुद को नाक़ाबिल महसूस कर रहे हैं...मुलाहिज़ा फरमाएं...

एक झूठा लफ़्ज़ मुहब्बत का
इस दिल में सलामत है अब तक
वो शोख़ी-ए-लब वो हर्फ़-ए-वफ़ा
वो नक़्श-ए-क़दम वो अक्स-ए-हिना
सौ बार जिसे चूमा हमने
सौ बार परस्तिश की जिसकी
इस दिल में सलामत है अब तक
वो गर्द-ए-अलम वो दीदा-ए-नम
हम जिसमें छुपाकर रखते हैं
तस्वीर बिखरती यादों की
ज़ंजीर पिघलते वादों की
पूंजी नाकाम इरादों की
ऐ तेज़ हवा नाराज़ न हो
इस दिल में सलामत है अब तक
सामान बिछड़ते साथ का
कुछ टुकड़े गरम दोपहरों के
कुछ रेज़े नरम सवालों के
कुछ ढेर अनमोल ख़्यालों के
एक सच्चा रूप हक़ीक़त का
एक झूठा लफ़्ज़ मुहब्बत का...
(हमारी डायरी से)

12 टिप्‍पणियां:

  1. वाक़ई नज़्म का एक-एक लफ्ज़ रूह की गहराइयों में उतर जाने वाला है.
    शानदार... मान गए सईद भाई की पसंद को...और आपकी भी मोहतरमा...

    हमारी दुआएं आप दोनों के साथ हैं...

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  2. एक सच्चा रूप हक़ीक़त का
    एक झूठा लफ्ज़ मुहब्बत का....
    kya baat hai. Meri taraf se itnaa khoobsurat likhne ke liye dhnyavad

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  3. सामान बिछड़ते साथ का
    कुछ टुकड़े गरम दोपहरों के
    कुछ रेज़े नरम सवालों के
    कुछ ढेर अनमोल ख्यालों के
    एक सच्चा रूप हक़ीक़त का
    एक झूठा लफ्ज़ मुहब्बत का....
    लाजवाब....बहुत ख़ूब।

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  4. वाह एक एक शब्द दिल को छू जाने वाले. बहुत उम्दा. धन्यवाद

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  5. खुदा करे कि मुहब्बत का लफ्ज़ झूठा न हो आशिक की बेरुखी उसकी बेदर्दी बेससब न हो.
    बल्कि ऐसा हो कि उसकी कोई मजबूरी हो ......
    शायद वो कहीं मसरूफ हो और इसे उसका जुर्म समझा जाए तो उसके साथ नाइंसाफी होगी.
    जैसा कि एक बार कहा था कि ......
    कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
    कोई यूँ ही बेवफा नहीं होता
    दिल में जो खजाने है वो महफूज़ रहें और दीदा-ए-नम हो तो दीदार के बाद.....
    और आ जाए एक सच्चा रूप हक़ीक़त का

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  6. सच ही कहा है किसी ने:
    एक लफ़्ज मुहब्बत का, इतना ही फसाना है
    सिमते तो दिले आशिक, फैले तो जमाना है

    बहुत खूब लिखी है आपने.........

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