शनिवार, मार्च 20, 2010

ये चांद की बातें, वो रफ़ाक़त की कहानी


हर बात यहां ख़्वाब दिखाने के लिए है
तस्वीर हकीक़त की छुपाने के लिए है

महके हुए फूलों में मुहब्बत है किसी की
ये बात महज़ उनको बताने के लिए है

चाहत के उजालों में रहे हम भी अकेले
बस साथ निभाना तो निभाने के लिए है

माज़ी के जज़ीरे का मुक़द्दर है अंधेरा
गुज़रा हुआ लम्हा तो रुलाने के लिए है

ये चांद की बातें, वो रफ़ाक़त की कहानी
आंगन में सितारों को बुलाने के लिए है

चाहत, ये मरासिम, ये रफ़ाक़त, ये इनायत
इक दिल में किसी को ये बसाने के लिए हैं

'फ़िरदौस' शनासा हैं बहारों की रुतें भी
मौसम ये ख़िज़ां का तो ज़माने के लिए है
-फ़िरदौस ख़ान

6 टिप्‍पणियां:

  1. महके हुए फूलों में मुहब्बत है किसी की
    ये बात महज़ उनको बताने के लिए है

    माज़ी के जज़ीरे का मुक़द्दर है अंधेरा
    गुज़रा हुआ लम्हा तो रुलाने के लिए है

    बेहद गहरे गहरे शेर, बेहद खूबसूरत गज़ल..


    ***राजीव रंजन प्रसाद

    www.rajeevnhpc.blogspot.com
    www.kuhukakona.blogspot.com

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